Sunday, April 28, 2024

Chapter 2 सूक्ष्मजीव:मित्र एवं शत्रु Class 8th Science Question and Answer

 


  Chapter 2 सूक्ष्मजीव:मित्र एवं शत्रु Class 8th Science

             2-सूक्ष्मजीव: मित्र एवं शत्रु  Class 8  Notes in Hindi


सूक्ष्मजीव (Micro-organism) : अत्यन्त छोटे जीव जिन्हें नग्न आँखों से नहीं देखा जा सकता है। ये केवल सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखे जा सकते हैं।


जीवाणु (Bacteria) : आकार में बहुत छोटे सूक्ष्मजीव जो हर जगह व्यापक रूप से पाए जाते हैं।

विषाणु (Virus) : केवल पोषी(host) के शरीर में ही प्रजनन करने वाले सूक्ष्मजीव जो घातक होते हैं।

कवक (Fungi) : ये बहुकोशिकीय जीव होते हैं, ये खाद्य पदार्थों को संदूषित करते हैं।

प्रोटोजोआ (Protozoa) : पेचिश और मलेरिया जैसे रोग फैलाने वाला एक कोशिकीय सूक्ष्मजीव।

खमीर (Yeast) : यह एक कोशिकीय कवक है जो किण्वन द्वारा बीयर, शराब और दूसरे पेय पदार्थ बनाने के काम आता है।

राइजोबियम (Rhizobium) : फलीदार पौधों की जड़-ग्रंथियों में पाये जाने वाला जीवाणु जो नाइट्रोजन स्थिरीकरण में सहायक होता है।

वाहक (Carriers) : कीट अथवा दूसरे जीव जो रोग फैलाने वाले सूक्ष्मजीवों का संचरण करते हैं।

किण्वन (Fermentation) : चीनी के एल्कोहल में परिवर्तन होने की प्रक्रिया को किण्वन कहते हैं।

प्रतिजैविक (Antibiotics) : ऐसी औषधि जो बीमारी पैदा करने वाले सूक्ष्म जीवों को नष्ट कर देती है अथवा उनकी वृद्धि को रोक देती है, प्रतिजैविक कहलाती है।

प्रतिरक्षी (Antibodies) : रोगाणु शरीर में प्रवेश करते हैं तो शरीर रोगाणुओं से लड़ने के लिए प्रतिरक्षी उत्पन्न करता है।

रोगाणु (Pathogen) : ऐसे सूक्ष्मजीव जो रोग फैलाते हैं, रोगाणु कहलाते हैं।

संचरणीय रोग(Communicable diseases): सूक्ष्मजीवों द्वारा होने वाले ऐसे रोग जो एक संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में वायु,जल,भोजन अथवा कायिक संपर्क द्वारा फैलते हैं,संचरणीय रोग कहलाते हैं।

खाद्य परिरक्षक (Food Preservatives) : वे रसायन जिनका उपयोग खाद्य पदार्थों में सूक्ष्मजीवों की वृद्धि रोकने के लिए किया जाता है, खाद्य परिरक्षक कहलाते हैं।

पॉश्चरीकरण (Pasteurisation) : वह प्रक्रिया जिसमें दूध को 70°C पर 15-30 सैकेंड के लिए गर्म करते हैं फिर एकाएक ठंडा कर उसका भण्डारण कर लेते है, पॉश्चरीकरण कहलाती है।

           8th Class Science सूक्ष्मजीव: मित्र एवं शत्रु पहेली बूझो

 प्रश्न 1. हमने अपनी माँ को गर्म (गुनगुने) दूध में थोड़ा-सा दही मिलाते हुए देखा है, जिससे दही जम जाता है।हमें आश्चर्य हुआ ऐसा क्यों ?

उत्तर: दही में लैक्टोबैसिलस नामक जीवाणु प्रमुख रूप से पाया जाता है,यह दूध को दही में परिवर्तित कर देता है        

प्रश्न 2. शिशु एवं बच्चों को टीका क्यों लगाया जाता है ?
उत्तर: हमारे शरीर में जब रोगकारक सूक्ष्मजीव प्रवेश करते हैं, तब उनसे लड़ने के लिए हमारा शरीर प्रतिरक्षी उत्पन्न करता है,शरीर को यह स्मरण रहता है कि सूक्ष्मजीव अगर हमारे शरीर में पुनःप्रवेश करेगा तो उससे किस प्रकार लड़ा जाए।अतःयदि मृत अथवा निष्क्रिय सूक्ष्मजीवों को स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में प्रविष्ट कराया जाए तो शरीर की कोशिकाएँ उसी के अनुसार लड़ने के लिये प्रतिरक्षी उत्पन्न करके रोगकारक को नष्ट कर देती हैं।यह प्रतिरक्षी हमारे शरीर में सदा के लिए बने रहते हैं तथा रोगकारक सूक्ष्मजीव से हमारी सदा के लिए सुरक्षा होती है, इस प्रकार टीका (वैक्सीन) कार्य करता है। हेजा, क्षय, चेचक तथा हैपेटाइटिस जैसी अनेक बीमारियों को वैक्सीन (टीके) द्वारा रोका जा सकता है।

प्रश्न 3. आप संचरणीय रोगों का फैलना किस प्रकार रोकते हैं?
उत्तर: यदि कोई व्यक्ति संक्रामक रोग से पीडित है तो उसे खाँसते एवं छींकते समय अपने नाक एवं मुँह पर रूमाल रखना चाहिए इससे संचरणीय रोग फैलने से रुकते हैं । इसके अतिरिक्त संक्रमित व्यक्ति से पर्याप्त दूरी बनाकर भी संचरणीय रोगों का फैलना रोका जा सकता है।

प्रश्न 4. अध्यापक हमसे ऐसा क्यों कहते हैं कि अपने आस-पास पानी एकत्रित होने दें।

उत्तर: मच्छर उत्पन्न होने का मुख्य कारण जल है, कूलरों, टायरों एवं फूलदानों इत्यादि में कहीं भी जल को एकत्र न होने दें। अपने आस-पास के स्थानों को स्वच्छ एवं शुष्क रखकर हम मच्छरों को पैदा होने से रोक सकते हैं।

प्रश्न 5.पहेली को आश्चर्य होता है कि भोजन विषकैसे बन सकता है ?

उत्तर: सूक्ष्मजीवों द्वारा संदूषित भोजन करने से खाद्य विषाक्त हो सकता है। हमारे भोजन में उत्पन्न होने वाले सूक्ष्मजीव कभी-कभी विषेला पदार्थ उत्पन्न करते हैं। यह भोजन को विषाक्त कर देते हैं जिसके सेवन से व्यक्ति भयंकर रूप से रोगी हो सकता है, अथवा कभी-कभी किसी रोगी की मृत्यु भी हो सकती है। अत: यह आवश्यक है कि हम भोजन को संदूषित होने से बचाएँ।

प्रश्न 6. थैलियों में आने वाला दूध संदूषित क्यों नहीं होता? मेरी माँ ने बताया कि यह दूध पॉश्चरीकृतहै।पॉश्चरीकरण क्या है ?

उत्तर: पॉश्चरीकृत दूध को बिना उबाले इस्तेमाल किया जा सकता है क्योंकि यह सूक्ष्मजीवों से मुक्त होता है। इसके लिए दूध को 70°C पर 15-30 सेकण्ड के लिए गर्म करते हैं, फिर एकाएक ठंडा करके उसका भण्डारण कर लिया । जाता है, ऐसा करने से दूध में सूक्ष्मजीवों की वृद्धि रुक जाती है। इस प्रक्रिया की खोज लुई पॉश्चर नामक वैज्ञानिक ने की थी, इसलिए इसे पॉश्चरीकरण कहते हैं।

 8th Class Science सूक्ष्मजीव: मित्र एवं शत्रु Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :
(
क) सूक्ष्मजीवों को ………………. की सहायता से देखा जा सकता है।
(
ख) नीले-हरे शैवाल वायु से ………… का स्थिरीकरण करते हैं जिससे मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि होती है।
(
ग) एल्कोहल का उत्पादन ……………… नामक सूक्ष्मजीव की सहायता से किया जाता है।
(
घ) हैजा ………………. के द्वारा होता है।
उत्तर:  (क) सूक्ष्मदर्शी   (ख) नाइट्रोजन     (ग) यीस्ट     (घ) घरेलू मक्खी ।

प्रश्न 2. सही शब्द के आगे () का निशान लगाइए-
(क) यीस्ट का उपयोग निम्न के उत्पादन में होता है।
         
(i) चीनी     (ii) एल्कोहल      (iii) हाइड्रोक्लोरिक अम्ल      (iv) ऑक्सीजन ।

उत्तर: (ii) एल्कोहल

(ख) निम्न में से कौन सा प्रतिजैविक है ?
         
(i) सोडियम बाइकार्बोनेट    (ii) स्ट्रेप्टोमाइसिन      (iii) एल्कोहल      (iv) यीस्ट ।

उत्तर: (ii) स्ट्रेप्टोमाइसिन

(ग) मलेरिया परजीवी का वाहक है।
         
(i) मादा एनॉफ्लीज़ मच्छर    (ii) कॉकरोच      (iii) घरेलू मक्खी       (iv) तितली ।

उत्तर: (i) मादा एनॉफ्लीज़ मच्छर

(घ) संचरणीय रोगों का सबसे मुख्य कारक है।
          (
i) चींटी      (ii) घरेलू मक्खी     (iii) ड्रेगन मक्खी      (iv) मकड़ी ।

उत्तर: (ii) घरेलू मक्खी

(ङ) ब्रेड अथवा इडली फूल जाती है, इसका कारण है।
         
(i) ऊष्णता     (ii) पीसना      (iii) यीस्ट कोशिकाओं की वृद्धि     (iv) माढ़ने के कारण ।

उत्तर: (iii) यीस्ट कोशिकाओं की वृद्धि

(च) चीनी को एल्कोहल में परिवर्तित करने के प्रक्रम का नाम है।
         
(i) नाइट्रोजन स्थिरीकरण    (ii) मोल्डिंग        (ii) किण्वन         (iv) संक्रमण

उत्तर: (ii) किण्वन

प्रश्न 3. कॉलम – I के जीवों का मिलान कॉलम – II में दिए गये उनके कार्य से कीजिए-

कॉलम – I

कॉलम – II

(क) जीवाणु

(i) नाइट्रोजन स्थिरीकरण

(ख) राइजेबियम

(ii) दही का जमना

(ग) लैक्टोबेसिलस

(iii) ब्रेड की बेकिंग

(घ) यीस्ट

(iv) मलेरिया का कारक

(ङ) एक प्रोटोज़ोआ

(v) हैजा का कारक

(च) एक विषाणु

(vi) AIDS का कारक

(vii) प्रतिजैविक उत्पादित करना

उत्तर:

कॉलम – I

कॉलम – II

(क) जीवाणु

(v) हैजा का कारक

(ख) राइजेबियम

(i) नाइट्रोजन स्थिरीकरण

(ग) लैक्टोबेसिलस

(ii) दही का जमना

(घ) यीस्ट

(iii) ब्रेड की बेकिंग

(ङ) एक प्रोटोज़ोआ

(iv) मलेरिया का कारक

(च) एक विषाणु

(vi) AIDS का कारक

प्रश्न 4.क्या सूक्ष्मजीव बिना यंत्र की सहायता से देखे जा सकते हैं ? यदि नहीं, तो वे कैसे देखे जा सकते हैं?
उत्तर: सूक्ष्मजीव इतने छोटे होते हैं कि उन्हें नग्न आँखों से नहीं देखा जा सकता है, यह केवल सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखे जा सकते हैं। केवल कुछ सूक्ष्मजीव जैसे ब्रेड पर उगने वाले कवक को आवर्धक लेन्स की सहायता से देखा जा सकता है।

                           

        
प्रश्न 5. सूक्ष्मजीवों के मुख्य वर्ग कौन-कौन से हैं?

उत्तर: सूक्ष्मजीवों का वर्गीकरण उनके आकार के अनुसार मुख्यत: 4 वगों में किया गया है ।
1.
जीवाणु स्पाइरल जीवाणु, छड़नुमा जीवाणु।

2. कवक पेनिसीलियम, एसपरजिलस।

 


                           
3. प्रोटोजोआ – अमीबा , पैरामीशियम 
          

       4. शैवाल स्पाइरोगाइरा, क्लेमाइडोमोनस।

                  
प्रश्न 6. वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का मिट्टी में स्थिरीकरण करने वाले सूक्ष्मजीवों के नाम लिखिए।

उत्तर:  (a) राइजोबियम जीवाणु   (b) एजोटोवैक्टर    (c) नीले हरे शैवाल ।

  

प्रश्न 7. हमारे जीवन में उपयोगी सूक्ष्मजीवों के बारे में 10 पंक्तियाँ लिखिए।
उत्तर: 1. ये कृषि में मृदा की उर्वरता में वृद्धि में सहायक होते हैं। जैसे-राइजोबियम जीवाण।
2.
लेक्टोबैसिलस जीवाणु दूध को दही में परिवर्तित करते हैं।
3.
यीस्ट किण्वन (या फर्मेंटेशन) में सहायक होते हैं, जिससे शराब और सिरका बनाया जाता है।
4.
जीवाणुओं का प्रयोग औषधि बनाने में किया जाता है।
5.
रोगों से बचाव के लिए टीके बनाने में उपयोग किया जाता है। जैसे-पैनिसीलियम।
6.
खाद्य पदार्थों जैसे मशरूम (कवक) के रूप में उपयोग होते हैं।
7.
प्रतिजैविक अथवा एंटीबायोटिक बनाने में जीवाणु एवं कवकों का उपयोग किया जाता है।            स्ट्रेप्टोमाइसिन, टेट्रोसाइक्लिन प्रमुख प्रतिजैविक हैं।
8.
राइजोबियम जीवाणु तथा नीले-हरे शैवाल नाइट्रोजन स्थिरीकरण कर वायुमण्डल की नाइट्रोजन को ह्यूमस में बदलते हैं।
9.
यीस्ट ब्रेड, पेस्ट्री एवं केक बनाने में सहायक होते हैं।
10.
जीवाणु पनीर, अचार एवं अनेक खाद्य पदार्थों के उत्पादन में सहायक है।

प्रश्न 8. सूक्ष्मजीवों द्वारा होने वाले हानिकारक प्रभावों का संक्षिप्त विवरण दीजिये।
उत्तर: सूक्ष्मजीवों द्वारा होने वाली हानियाँ-
(i)
कुछ सूक्ष्मजीव मानवों, पौधों तथा जानवरों में रोग उत्पन्न करते हैं। इन्हें रोगाणु कहते हैं।
(ii)
कुछ सूक्ष्मजीव कपड़े तथा चमड़े को नष्ट करते हैं।
(iii)
विषैले पदार्थ उत्पन्न करके भोजन को संदूषित करते हैं।
(iv)
चिकनपॉक्स, पोलियो, खसरा व हेपेटाइटिस-ए रोग के कारक वायरस है जबकि हैजा, क्षय व टाइफायड रोग जीवाणुओं द्वारा होता है ।
(v)
जीवाणु जन्तुओं में भी रोग उत्पन्न करते हैं । उदाहरण के लिए-एंथ्रेक्स मनुष्य एवं मवेशियों में होने वाला भयंकर रोग है जो कि जीवाणु द्वारा होता है। गाय में खुर एवं मुँह का रोग भी वायरस द्वारा होता है । इसे खुरपका व मुँहपका कहते हैं ।
(vi)
सूक्ष्मजीवों द्वारा गेहूँ, चावल, आलू, गन्ना, सेब, संतरा आदि भी रोग ग्रसित हो जाते हैं । रोग के कारण फसल की उपज में कमी आ जाता है ।

प्रश्न 9. प्रतिजैविक क्या हैं ? प्रतिजैविक लेते समय कौन-सी सावधानियाँ रखनी चाहिए?
उत्तर: प्रतिजैविक(Antibiotics):सूक्ष्मजीवों द्वारा प्राप्त होने वाली ऐसी औषधि जो सूक्ष्मजीवों को नष्ट कर देती है या उनकी वृद्धि को रोकती है।इस प्रकार की औषधि प्रतिजैविक कहलाती है। स्ट्रेप्टोमायसिन, टेट्रासाइक्लिन और एरिथ्रोमाइसिन प्रमुख प्रतिजैविक हैं।वे रक्त के अन्दर शरीर की कोशिकाओं को बिना हानि पहुंचाए जीवाणुओं को मारती हैं।प्रतिजैविक लेते समय निम्न सावधानियाँ रखनी चाहिए-
(1)
प्रतिजैविक हमेशा डॉक्टर की सलाह पर लेनी चाहिए।
(2)
डॉक्टर द्वारा परामर्श की गई सभी दवाओं का कोर्स पूरा करना चाहिए।
(3)
सर्दी, जुकाम एवं फ्लू में प्रतिजैविक प्रभावशाली नहीं हैं क्योंकि ये रोग वायरस द्वारा फैलते हैं।

           विस्तारित अधिगम-क्रियाकलाप एवं परियोजनाएँ

प्रश्न1.खेत में चने अथवा सेम का एक पौधा समूल उखाड़िए।इसकी जड़ों का प्रेक्षण कीजिए।आपको कुछ जड़ों में कुछ गोल उभार दिखाई देंगे। यह जड़ों की ग्रंथिकाएँ हैं। एक जड़ का चित्र बनाकर ग्रंथिका दर्शाइए।
उत्तर:

         

प्रश्न 2. जैम तथा जेली के लेबल एकत्र कीजिए। इसके ऊपर छपे संघटकों के नामों की सूची बनाइए।

उत्तर: शर्करा मिश्रण, मिश्रित फलों का जूस, जैलिंग एजेंट, अम्लीय रेग्यूलेटर इसके अतिरिक्त उपर्युक्त मिश्रणों में संश्लेषित भोज्य रंग तथा कृत्रिम स्वाद भिन्न-भिन्न मात्रा में मिले होते हैं। छात्र स्वयं अन्य जैम एकत्र कर इनके संघटक ज्ञात कर सकते हैं।

प्रश्न 3.एक डॉक्टर से संपर्क कर पता लगाइए कि किसी प्रतिजैविक का बहुत अधिक प्रयोग क्यों नहीं करना चाहिए । इसकी संक्षिप्त रिपोर्ट तैयार कीजिए।
उत्तर: डॉक्टर की सलाह पर ही प्रतिजैविक दवाएँ लेनी चाहिए तथा उस दवा का कोर्स भी पूरा करना चाहिए। यदि आप प्रतिजैविक बिना आवश्यकता के ही प्रयोग करेंगे तो अगली बार यदि आप बीमार होंगे और आपको प्रतिजैविक की आवश्यकता होगी। तब, यह इतना प्रभावी नहीं होगा। इसके अलावा ज्यादा ली गई प्रतिजैविक शरीर में उपस्थित उपयोगी जीवाणु भी नष्ट कर देती हैं। सर्दी, जुकाम, फ्लू विषाणु द्वारा फैलते हैं इसलिए इनमें प्रतिजैविक असरदायी नहीं होते।

प्रश्न 4. प्रोजेक्ट-स्वयं प्रयोगशाला में अध्यापक के साथ करें।

 8th Class Science सूक्ष्मजीव: मित्र एवं शत्रु Important Questions and Answers (बहुविकल्पीय प्रश्न)

1. पादप रोग नींबू कैंकर होता है-
 (अ) कवक द्वारा  (ब) वायरस द्वारा  (स) जीवाणु द्वारा   (द) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर: (स) जीवाणु द्वारा

2. चेचक के टीके की खोज की थी
(
अ) अलेक्जेंडर फ्लेमिंग ने (ब) लुई पाश्चर ने  (स) एडवर्ड जेनर ने   (द) राबर्ट कोच ने।
उत्तर: (स) एडवर्ड जेनर ने

3. हमारे वायुमण्डल में नाइट्रोजन की प्रतिशतता है
(
अ) 78%     (ब) 87%      (स) 21%       (द) 1%.
उत्तर:  (अ) 78%

4. मादा एडीस मच्छर वाहक है
(
अ)डेंगू के वायरस का   (ब)मलेरिया परजीवी का   (स) उपर्युक्त दोनों का

(द)उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर: (अ) डेंगू के वायरस का

5. पॉश्चरीकरण के लिए दूध को 15-30 सेकेण्ड तक गर्म किया जाता है
(
अ) 30°C पर    (ब) 150°C पर      (स) 70°C पर      (द) 200°C पर ।
उत्तर:   (स) 70°C पर

6. रिक्त स्थान पूर्ति

(i) एण्टं अमीबा …………………. रोग फैलाता है।
(ii)
पेनिसिलीन की खोज …………………. ने की।
(iii)
मछलियों के भोजन का मख्य स्रोत …………………. हैं।
(iv)
सभी मशरूम …………………. नहीं होते।
(v) ………………….
द्वारा त्वचा रोग रिंग-वॉर्म फैलता है।
उत्तर: (i) अमीबी पेचिश।   (ii) अलेक्जेंडर फ्लेमिंग।   (iii) कवक।   (iv) खाने योग्य।    (v) कवक।

7. सुमेलन

कॉलम – I

कॉलम – II

(क) चिकनपॉक्स

(i) कवक

(ख) टाइफायड

(ii) जीवाणु

(ग) मलेरिया

(iiii) वायरस

(घ) गेहूँ की रस्ट

(iv) प्रोटोजोआ

उत्तर:

कॉलम – I

कॉलम – II

(क) चिकनपॉक्स

(iiii) वायरस

(ख) टाइफायड

(ii) जीवाणु

(ग) मलेरिया

(iv) प्रोटोजोआ

(घ) गेहूँ की रस्ट

(i) कवक

 

8. सत्य/असत्य

(क) लैक्टोबैसिलस नामक जीवाणु दूध को दही में परिवर्तित कर देता है।
(
ख) स्ट्रेप्टोमाइसिन एक खाद्य परिरक्षक है।
(
ग) लुइ पाश्चर ने चेचक के टीके की खोज की।
(
घ) मादा एडीस मच्छर डेंगू के वायरस का वाहक है।
उत्तर: (क) सत्य   (ख) असत्य   (ग) असत्य   (घ) सत्य।

     अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. शैवाल के दो उदाहरण दीजिए ।
उत्तर:  (i) स्पाइरोगाइरा     (ii) क्लेमाइडोमोनस

प्रश्न 2. सबसे पहले जीवाणु को कब और किसने देखा?
उत्तर: 1675 ई. में एन्टान बैन लियुवन हॉक ने देखा।

प्रश्न 3. जीवाणु विज्ञान (Bacteriology) के जनक का नाम बताइये।
उत्तर: लुई पाश्चर।

प्रश्न 4. दो प्रतिजैविकों के नाम लिखिए।
उत्तर: स्ट्रेप्टोमाइसिन एवं टेट्रासाइक्लिन।

प्रश्न 5. टीकाकरण द्वारा रोकी जाने वाली कुछ बीमारियों के नाम बताइये।
उत्तर: हैजा, टी.बी., छोटी माता (खसरा) तथा हैपेटाइटिस।

प्रश्न 6,ऐसी कौन सी बीमारियाँ हैं जिन्हें टीकाकरण द्वारा नहीं रोका जा सकता है?
उत्तर: खाँसी, जुकाम, फ्लू, चिकनपॉक्स, क्षय रोग।

प्रश्न 7. मलेरिया किस मच्छर के काटने के कारण होता है?
उत्तर: मादा एनॉफ्लीज़ मच्छर ।।

प्रश्न 8. जीवाणु द्वारा कौन से रोग फैलाए जाते हैं ?
उत्तर: टाइफायड, हैजा, तपेदिक (T.B.)

प्रश्न 9. एन्थ्रेक्स रोग का कारक क्या है ?
उत्तर:एन्थ्रेक्स रोग बेसीलस एन्थ्रेसिस नामक जीवाणु द्वारा फैलता है।

प्रश्न 10. बेसीलस एन्थेसिस नामक जीवाणु की खोज किसने की?
उत्तर: बेसीलस एन्थेसिस नामक जीवाणु की खोज राबर्ट कोच (1876) ने की।

प्रश्न 11. डेंगू रोग के वायरस के वाहक का नाम क्या है?
उत्तर: मादा एडीस मच्छर ।

प्रश्न 12. किन्हीं दो सामान्य खाद्य परिरक्षकों के नाम लिखिए।
उत्तर: (i) सोडियम बेंजोएट       (ii) सोडियम मेटाबाई सल्फाइट।

प्रश्न 13. जल में उपस्थित मिट्टी के कणों को सूक्ष्मदर्शी से देखने पर क्या प्रतीत होता है?
उत्तर: इसमें अति सूक्ष्मजीव गति करते हुए दिखाई देते है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. सूक्ष्मजीव कहाँ पाये जाते हैं ?
उत्तर: सूक्ष्मजीव एककोशिक हो सकते हैं जैसे कि जीवाणु, कुछ शैवाल, प्रोटोजोआ अथवा बहुकोशिक जैसे कि शैवाल व कवक । ये सूक्ष्मजीव बर्फीली शीत, गर्म स्रोत, मरुस्थल, दलदल आदि में पाए जाते हैं । ये मनुष्य सहित अन्य सभी जन्तुओं के शरीर के अन्दर भी पाये जाते हैं।कुछ सूक्ष्म जीव दूसरे सजीवों पर आश्रित रहते हैं तथा कुछ स्वतंत्र रूप से भी पाए जाते हैं । अमीबा सूक्ष्मजीव अकेले रह सकता है तथा कवक एवं जीवाणु समूह में रहते हैं ।

प्रश्न 2. विषाणु क्या हैं ?
उत्तर: विषाणु (वायरस) अति सूक्ष्मजीव होते हैं,जोकि केवल परपोषी में ही गुणन करते हैं।जबकि जीवाणु पौधों में या जन्तु कोशिका में गुणन करते हैं। कुछ सामान्य रोग जैसे खाँसी, इन्फ्लुएंजा, जुकाम आदि विषाणु द्वारा होते हैं।कुछ विशेष रोग पोलियो एवं खसरा आदि के कारक भी विषाणु ही होते हैं।

     

   
प्रश्न 3. कवक और शैवाल में क्या भिन्नता है?

उत्तर:

शैवाल

कवक

1. इसका रंग हरी होता है।

1. यह हरे रंग के नहीं होते या रंगरहित होते हैं।

2. यह स्वपोषी होते हैं।

2. यह परपोषी होते हैं।

3. इनका आवास जलीय होता है।

3. इनका आवास मृतजीवी माध्यम होता है।या परजीवी होते हैं।

प्रश्न 4. मित्रवत सूक्ष्मजीव से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर: कुछ सूक्ष्मजीवों का उपयोग विभिन्न उपयोगी कार्यों, पर्यावरण को शुद्ध रखने में भी किया जाता है इन्हें ही मित्रवत सूक्ष्मजीव कहा जाता है। इनका उपयोग दूध से दही बनाने में(लैक्टोबैसिलस जीवाणु द्वारा),कार्बनिक अपशिष्ट (सब्जियों के छिलके, जन्तु अवशेष आदि) का अपघटन करने में किया जाता है ।जीवाणुओं का उपयोग औषधि उत्पादन एवं कृषि में मृदा की उर्वरता में वृद्धि करने में भी किया जाता है ।

प्रश्न 5. सूक्ष्मजीव हमारे लिए औषधि के रूप में किस प्रकार प्रयुक्त होते हैं?
उत्तर: कभी-कभी बीमारी ठीक करने के लिए डॉक्टर प्रतिजैविक यानि एंटीबायोटिक का उपयोग करते हैं जो कि सूक्ष्मजीवों द्वारा उत्पन्न की जाती हैं । यह बीमारी उत्पन्न करने वाले सूक्ष्मजीवों को नष्ट कर देती हैं।आजकल जीवाणु और कवक से अनेक प्रतिजैविक औषधियों का उत्पादन होता है, उदाहरण के लिए स्ट्रेप्टोमाइसिन,टेट्रासाइक्लिन तथा एरिथ्रोमाइसिन सामान्य रूप से उपयोग में आने वाली प्रतिजैविक हैं।पशु आहार व कुक्कुट आहार में भी प्रतिजैविक मिलाए जाते हैं जिससे पशुओं में सूक्ष्मजीवों का संचरण रूक जाता है।

प्रश्न 6. प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर: प्रतिरोधक क्षमता (Immunity): शरीर में होने वाले रोगों से बचाव का प्रबंध प्रतिरोधक क्षमता कहलाता है। यह रोग पैदा करने वाले रोगाणुओं से, सुरक्षा प्रदान करती है। यदि रोगाणु शरीर में प्रवेश हो जाएँ तो शरीर उनका मुकाबला करता है, हमारे शरीर का सुरक्षा प्रबंध दो भागों में विभाजित है-

1.     स्थानीय सुरक्षा प्रबंध

2.     प्रतिरक्षा प्रबंध ।

प्रश्न 7. सूक्ष्मजीवों की मृदा की उर्वरता में वृद्धि में भूमिका बताइए?
उत्तर: मृदा में सूक्ष्मजीवों के रूप में कुछ जीवाणु एवं नीले-हरे शेवाल पाये जाते हैं जो वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का स्थिरीकरण कर सकते हैं। इस प्रकार नाइट्रोजन का संवर्धन होता है एवं उसकी उर्वरता में वृद्धि होती है।

प्रश्न 8. हानिकारक सूक्ष्मजीव से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर: कुछ सुक्ष्मजीव मनुष्य, जंतुओं एवं पौधों में रोग उत्पन्न करते हैं । रोग उत्पन्न करने वाले ऐसे सूक्ष्म जीवों को रोगाणु अथवा रोगजनक कहते हैं । कुछ सूक्ष्म जीव भोजन, कपड़े एवं चमड़े की वस्तुओं को संदूषित कर देते हैं।

प्रश्न 9. कीट व जंतुओं को रोग वाहक क्यों कहा जाता है ?
उत्तर: कुछ कीट व जंतु ऐसे होते हैं जो रोगकारक सूक्ष्म जीवों के रोग-वाहक का कार्य करते हैं । घरेलू मक्खी इसका एक उदाहरण है। मक्खी कूड़े एवं जंतु अपशिष्ट पर बैठती है, जिसके कारण रोगाणु उसके शरीर से चिपक जाते हैं । जब मक्खी बिना ढके भोजन पर बैठती है तो रोगाणुओं का स्थानान्तरण स्वच्छ भोजन पर हो जाता है। जो भी व्यक्ति ऐसा संदूषित भोजन करता है उसके बीमार पड़ने की संभावना बढ़ जाती है, इसीलिए भोजन को ढककर रखना चाहिए ।

प्रश्न 10. खाद्य विषाक्तन (Food Poisoning) से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर: सूक्ष्मजीवों द्वारा संदूषित भोजन करने से खाद्य विषाक्तन हो जाता है।इसका कारण हमारे भोजन में उत्पन्न होने वाले सूक्ष्मजीव हैं जोकि कभी-कभी विषैले पदार्थ उत्पन्न करते हैं, यह पदार्थ भोजन को विषाक्त बना देते हैं।इस प्रकार के भोजन को खाने से व्यक्ति भयंकर रूप से रोगग्रस्त हो जाते हैं।

प्रश्न 11. खाद्य परिरक्षक से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर: नमक एवं खाद्य तेल का उपयोग सूक्ष्मजीवों की वृद्धि रोकने के लिए सामान्य रूप से किया जाता है, अत:इन्हें परिरक्षक कहते हैं।नमक अथवा खाद्य तेल का प्रयोग अचार बनाने में किया जाता है जिससे कि सूक्ष्मजीवों की वृद्धि नहीं होती।सोडियम बेंजोएट तथा सोडियम मेटाबाइसल्फाइट सामान्य परिरक्षक हैं।

प्रश्न 12. नमक द्वारा परिरक्षण किस प्रकार होता है, समझाइए।
उत्तर: सामान्य नमक का उपयोग मांस व मछली के परिरक्षण के लिए काफी लम्बे समय से किया जा रहा है । जीवाणु की वृद्धि रोकने हेतु मांस एवं मछली को सूखे नमक द्वारा ढक देते हैं जिससे उनमें सूक्ष्मजीवों की वृद्धि नहीं हो पाती है । नमक का उपयोग आम, आँवला एवं इमली के परिरक्षण में भी किया जाता है।

प्रश्न 13. नाइट्रोजन का स्थिरीकरण क्या है? जीवाणुओं द्वारा यह क्रिया किस प्रकार सम्पन्न होती है?
उत्तर: वायुमण्डल में नाइट्रोजन गैस उपलब्ध रहती है। इस नाइट्रोजन गैस को नाइट्रोजन के यौगिकों में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को नाइट्रोजन का स्थिरीकरण कहते हैं।पौधे एवं जन्तु वायुमण्डल में उपस्थित नाइटोजन का उपयोग सीधे नहीं कर सकते हैं । मिट्टी में उपस्थित जीवाणु व नीले हरे शैवाल वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करके इसे नाइट्रोजन योगिकों में परिवर्तित कर देते हैं । जिससे पौधे इसका उपयोग मिट्टी में से जड़ तंत्र द्वारा करते हैं।

प्रश्न 14. गुथी हुई मैदा कुछ समय बाद फूल जाती है। कारण बताइए।
उत्तर: इसका कारण यह है कि इसमें उपस्थित यीस्ट तीव्रता से जनन करके श्वसन के दौरान कार्बन डाईऑक्साइड गैस उत्पन्न करता है। गैस के बुलबुले खमीर वाली मैदा का आयतन बढ़ा देते है।

प्रश्न 15. पादप अवशिष्ट किस प्रकार के पदार्थ हैं?
उत्तर: पादप अवशिष्ट जैव अपघटनीय है, जिनका अपघटन सूक्ष्मजीवों द्वारा होता है एवं ये खाद में परिवर्तित हो जाते हैं।

प्रश्न 16. 400 ml जल में 2 चम्मच चीनी घोलकर आधा चम्मच यीस्ट पाउडर मिलाकर इसे 4 – 5 घंटे के लिए उष्ण स्थान पर ढंककर रखने पर इस विलयन को सूंघने पर किसकी गंध आती है एवं इसका क्या कारण है?
उत्तर: इस विलयन को सूंघने पर एल्कोहल की गंध आती है। इसका कारण यह है कि प्रक्रिया के दौरान चीनी एल्कोहल में परिवर्तित हो जाती है। चीनी के एल्कोहल में परिवर्तन की यह प्रक्रिया किण्वन कहलाती है।                

 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. मनुष्य में सूक्ष्मजीवों द्वारा होने वाले सामान्य रोगों की सारणी बनाइए।
उत्तर: मनुष्य में सूक्ष्मजीवों द्वारा होने वाले सामान्य रोग

मानव रोग

रोगकारक सूक्ष्मजीव

संचरण का तरीक

बचाव के उपाय (सामान्य)

क्षयरोग

खसरा(Measles)

चिकनपॉक्स

 

पोलियो

जीवाणु

वायरस

वायरस

वायरस

वायु

वायु

वायु/सीधे संपर्क

वायु/जल

 

रोगी व्यक्ति को पूरी तरह से अन्य व्यक्तियों से अलग रखना। 

रोगी की व्यक्तिगत वस्तुओं को अलग रखना।उचित समय पर टीकाकरण।

हैजा

टाइफायड

जीवाणु

जीवाणु

जल/भोजन

जल

व्यक्तिगत स्वच्छता एवं अच्छी आदतों को अपनाना। भलीभाँति पके भोजन,उबला पेयजल एवं टीकाकरण।

हैपेटाइटिस-ए

वायरस

जल

उबले हुए पेयजल का प्रयोग,

टीकाकरण।

मलेरिया

प्रोटोजोआ

मच्छर

मच्छरदानियों का प्रयोग, मच्छर भगाने वाले रसायन का प्रयोग, कीटनाशक का छिड़काव एवं मच्छर के प्रजनन रोकने के लिए जल को किसी भी स्थान पर एकत्र न रहने देना।

प्रश्न 2. खाद्य परिरक्षण को विस्तार से समझाइए।
उत्तर: खाद्य परिरक्षण (Food Preservation): ऐसी विधि जिसके द्वारा खाद्य पदार्थ को संदूषित होने से बचाया जा सके तथा लंबे समय तक उसके पोषक तत्व ठीक रहें, जिससे वह आवश्यकता पड़ने पर उपयोग में लाया जा सके, खाद्य परिरक्षण कहते हैं। खाद्य परिरक्षण की विधियाँ :
(1)
नमक और चीनी द्वारा (By salt and sugar) : नमक और चीनी अच्छे परिरक्षक हैं। अचार, जैम,           जैली, कैचअप, स्क्वैश आदि का परिरक्षण नमक और चीनी डालकर किया जा सकता है ।

(2) अति ठंडा करना (Deep Freezing) : यह एक आसान तरीका है। इस विधि में खाद्य पदार्थ को 0°C से निम्न ताप तक ठंडा किया जाता है। इस विधि के द्वारा फल, सब्जियाँ, मांस, मछली को परिरक्षित किया जाता है।

(3) निर्जलीकरण और धूप में सुखाना (Dehydration and Drying in sunlight) : फलों और सब्जियों में           पानी की मात्रा को कम करना निर्जलीकरण कहलाता है। फलों और सब्जियों को धूप में सुखाना सबसे पुरानी विधि है, इससे भोजन में पानी कम हो जाता है।सूक्ष्मजीवों की वृद्धि रुक जाती है।

(4)  रासायनिक परिरक्षण (Chemical Preservation) : कभी-कभी कुछ खाद्य पदार्थों को संदूषित होने           से बचाने के लिए रसायनों की आवश्यकता पड़ती है, ऐसे रसायन खाद्य परिरक्षण रसायन           कहलाते हैं। जैसे- सोडियम बैंजोएट, सोडियम मेटाबाइसल्फाइट आदि ।

प्रश्न 3. नाइट्रोजन-चक्र की सचित्र व्याख्या कीजिये।

उत्तर :

          

वायुमण्डल में 78% नाइट्रोजन गैस उपस्थित है, पौध एवं जन्तु वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का उपयोग सीधे नहीं कर सकते। मिट्टी में उपस्थित जीवाणु व नीले, हरे शैवाल वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करके नाइट्रोजन यौगिकों में परिवर्तित कर देते हैं, जब नाइट्रोजन इस प्रकार यौगिकों में परिवर्तित हो जाती हैं तो पौधे इसका उपयोग मिट्टी से जड़ तंत्र द्वारा करते हैं। इसके पश्चात् अवशोषित नाइट्रोजन का उपयोग प्रोटीन एवं अन्य यौगिकों के संश्लेषण में करते हैं।

पौधे एवं जन्तुओं की मृत्यु के बाद मिट्टी में उपस्थित जीवाणु एवं कवक नाइट्रोजनी अपशिष्ट को नाइट्रोजनी यौगिकों में परिवर्तित कर देते हैं जो पौधों द्वारा पुनः उपयोग होता है, कुछ विशिष्ट जीवाणु नाइट्रोजनी यौगिकों को नाइट्रोजन गैस में बदल देते हैं जो वायुमण्डल में मिल जाती है। इसके परिणामस्वरूप वायुमण्डल में नाइट्रोजन की मात्रा लगभग स्थिर रहती है।

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