Chapter 12 "पृथ्वी से परे " कक्षा 6 की विज्ञान की पाठ्य पुस्तक "जिज्ञासा"
"पृथ्वी से परे" कक्षा 6 की विज्ञान की पाठ्य पुस्तक "जिज्ञासा" का बारहवां अध्याय है। नीचे इस अध्याय के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर दिए गए हैं, जो पाठ्य पुस्तक और सामान्य शिक्षण पैटर्न पर आधारित हैं।
प्रमुख शब्द :
प्रश्न :1. निम्नलिखित का मिलान करें (Column Matching):
उत्तर
:
-
-
स्तम्भ I
स्तम्भ II
पृथ्वी का उपग्रह
चंद्रमा
लाल ग्रह
मंगल
तारा-मंडल
ओरीयन
संध्या तारा
शुक्र
-
प्रश्न :2. (क) निम्नलिखित पहेलियों को हल करें—
मेरे नाम का पहला अक्षर मंत्रणा में है, यंत्रणा में नहीं।
मेरे नाम का दूसरा अक्षर गगन और सागर दोनों में है।
मेरे नाम का तीसरा अक्षर जल में है, जग में नहीं।
मैं सूर्य के चारों ओर घूमने वाला एक ग्रह हूँ।
उत्तर : मंगल
(ख) इस प्रकार की दो पहेलियाँ स्वयं बनाइए।
उत्तर :
प्रश्न :3. निम्नलिखित में से कौन सौरमंडल का सदस्य नहीं है?
(क) बुध (ख) बुध (ग) क्षुद्रग्रह (घ) प्लूटो
उत्तर : (घ) प्लूटो
प्रश्न :4. निम्नलिखित में से कौन सा सूर्य का ग्रह नहीं है?
(क ) बृहस्पति (ख ) वरुण
(ग ) प्लूटो (घ) शनि
उत्तर : (ग ) प्लूटो
प्रश्न :5. ध्रुव तारा और लुब्धक में से कौन अधिक चमकदार तारा है?
उत्तर : ध्रुव तारा लघुतम तारे से अधिक चमकदार होता है क्योंकि वह पृथ्वी के उत्तर दिशा में प्रतीक के रूप में दिखाई देता है और आसान से पहचाना जा सकता है।
प्रश्न :6. सौर परिवार (सौरमंडल) का किसी चित्रकार द्वारा बनाया गया चित्र 12.12 में दर्शाया गया है। क्या इसमें ग्रहों का क्रम ठीक है? यदि ठीक नहीं है तो चित्र के नीचे दिए गए बॉक्स में उनका सही क्रम लिखिए।
बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, वृहस्पति, शनि, यूरेनस, नेपच्यून
प्रश्न :7. रात्रि आकाश का एक भाग चित्र 12.13 में दर्शाया गया है। बिग डिपर और लिटिल डिपर के तारों को सरल रेखाओं द्वारा जोड़िए। ध्रुव तारे को पहचानिए और चित्र में इसका नाम लिखिए।
उत्तर
:
चित्र
12.13:
इसमें
ध्रुव तारा और लिटिल डिपर
तारा-मंडल
दिखाए गए हैं।
प्रश्न :8. रात्रि आकाश का एक भाग चित्र 12.14 में दिखाया गया है। इसमें ओरायन तारामंडल के तारों को सरल / सीधी रेखाओं द्वारा जोड़िए । तारे लुब्धक का नाम अंकित कीजिए । इसके लिए आप चित्र 12.3 की सहायता ले सकते हैं।
उत्तर : इस प्रश्न में आपको दिए गए तारों वाले चित्र (चित्र 12.14) पर ओरायन तारामंडल की आकृति बनानी है और लुब्धक तारे को पहचानकर नाम लिखना है।
ओरायन (Orion) तारामंडल:
-
ओरायन तारामंडल में मुख्य रूप से चार चमकीले तारे होते हैं जो एक चतुर्भुज (आयत) बनाते हैं।
इस चतुर्भुज के बीच में तीन चमकीले तारे लगभग एक सीधी रेखा में होते हैं। इन्हें ओरायन का "कमरबंद" (Belt) कहते हैं।
आपको चित्र 12.14 में ये तारे पहचानकर सरल रेखाओं से जोड़ने हैं।
लुब्धक (Sirius) तारा:
लुब्धक (सीरियस) रात के आकाश का सबसे चमकीला तारा है।
यह ओरायन तारामंडल के कमरबंद के तारों से गुज़रने वाली सीधी रेखा की दिशा में, नीचे की ओर स्थित होता है।
आपको चित्र में ओरायन के पास सबसे चमकीले तारे को पहचानकर उस पर लुब्धक (सीरियस) नाम अंकित करना है।
ओरायन तारामंडल और लुब्धक तारा (Sirius)
ओरायन (Orion), जिसे कालपुरुष भी कहते हैं, आकाश में आसानी से पहचाना जाने वाला एक प्रमुख तारामंडल है। यह एक शिकारी (Hunter) की आकृति जैसा दिखता है।
ओरायन तारामंडल को जोड़ना:
चित्र 12.14 में, आप चित्र 12.3 की तरह तारों का एक विशिष्ट समूह खोज सकते हैं, जिसमें चार चमकीले तारे एक आयत/चतुर्भुज बनाते हैं, और उनके केंद्र के पास तीन चमकीले तारे एक सीधी रेखा में होते हैं।
ये तीन तारे ओरायन की 'कमरबंद' (Orion's Belt) कहलाते हैं।
आपको इन तारों को जोड़कर ओरायन तारामंडल की आकृति बनानी होगी, जैसा कि चित्र 12.3 में ओरायन के लिए दिखाया गया है।
लुब्धक तारे (Sirius) को अंकित करना:
चित्र 12.3 को देखने पर स्पष्ट होता है कि तारा लुब्धक (सीरियस), जो रात्रि आकाश का सबसे चमकीला तारा है, ओरायन के कमरबंद (बेल्ट) के तारों से खींची गई सीधी रेखा की सीध में, नीचे और बाईं ओर स्थित है।
आपको चित्र 12.14 में ओरायन के कमरबंद के तारों को पहचानना होगा। फिर, इन तीन तारों से गुज़रने वाली एक काल्पनिक सीधी रेखा की दिशा में, सबसे चमकीले तारे को पहचानकर उस पर लुब्धक (सीरियस) नाम अंकित करना होगा।
प्रश्न :9. आप उषाकाल में तारों को लुप्त होते तथा संध्याकाल में प्रकट होते देख सकते हैं। दिन के समय आप तारों को नहीं देख पाते हैं। ऐसा क्यों होता है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर : दिन के समय तारे इसलिए दिखाई नहीं देते क्योंकि सूर्य का प्रकाश बहुत अधिक तेज और चमकीला होता है।
तारों का अपना प्रकाश होता है, लेकिन वे हमसे बहुत अधिक दूर हैं, इसलिए उनका प्रकाश पृथ्वी तक पहुँचते-पहुँचते बहुत कमजोर हो जाता है।
सूर्य भी एक तारा है, लेकिन वह पृथ्वी के बहुत निकट है, इसलिए उसका प्रकाश बहुत तेज होता है।
दिन के समय, सूर्य के इस तेज प्रकाश के कारण, तारों का कमजोर प्रकाश छिप जाता है, ठीक वैसे ही जैसे एक चमकीले बल्ब के सामने एक मंद मोमबत्ती की रोशनी दिखाई नहीं देती।
जैसे ही संध्याकाल में सूर्य का तेज प्रकाश कम होता है, तारे धीरे-धीरे प्रकट होने लगते हैं, और रात में, जब सूर्य का प्रकाश बिल्कुल नहीं होता, तो वे स्पष्ट दिखाई देते हैं।
प्रश्न :10.रात में जब आकाश साफ हो तो बिग डिपर (सप्तर्षि) के अवलोकन का प्रयास 2−3 घंटे के समय अंतराल पर 3−4 बार कीजिए। प्रत्येक बार ध्रुवतारे की स्थिति देखने का प्रयास भी कीजिए। क्या सप्तर्षि गति करते हुए प्रतीत होता है? प्रत्येक प्रेक्षण का समय बताते हुए एक कच्चा रेखाचित्र बनाइए।
उत्तर : हाँ, सप्तर्षि तारामंडल (Big Dipper) गति करता हुआ प्रतीत होता है।
कारण: पृथ्वी अपनी धुरी (axis) पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है। इस कारण, हमें आकाश में तारे पूर्व से पश्चिम की ओर गति करते हुए दिखाई देते हैं। इसलिए, कुछ घंटों के अंतराल पर देखने पर, सप्तर्षि की स्थिति बदल जाती है और वह ध्रुव तारे (Pole Star) के चारों ओर घूमता हुआ प्रतीत होता है।
ध्रुव तारे की स्थिति: जब आप सप्तर्षि की स्थिति में बदलाव देखेंगे, तो आप पाएँगे कि ध्रुव तारा (Polaris) अपनी जगह पर स्थिर रहता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ध्रुव तारा पृथ्वी के घूर्णन अक्ष (Rotation Axis) की सीध में स्थित है।
कच्चा रेखाचित्र (Sketch):
प्रेक्षण संख्या |
समय |
सप्तर्षि की स्थिति (ध्रुव तारे के सापेक्ष) |
1 |
रात 9:00 बजे |
ध्रुव तारे के ऊपर या दाहिनी ओर |
2 |
रात 11:30 बजे |
ध्रुव तारे के बाईं ओर घूमता हुआ |
3 |
रात 2:00 बजे |
ध्रुव तारे के नीचे या बहुत बाईं ओर |
सप्तर्षि के दो संकेतक तारे (जो हैंडल के विपरीत हैं) हमेशा ध्रुव तारे की ओर संकेत करते रहते हैं, लेकिन सप्तर्षि की पूरी आकृति समय के साथ ध्रुव तारे के चारों ओर घूमती रहती है।
हाँ, सप्तर्षि तारामंडल (Big Dipper) गति करता हुआ प्रतीत होता है।
कारण: पृथ्वी अपनी धुरी (axis) पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमती है। इस कारण, हमें आकाश में तारे पूर्व से पश्चिम की ओर गति करते हुए दिखाई देते हैं। इसलिए, कुछ घंटों के अंतराल पर देखने पर, सप्तर्षि की स्थिति बदल जाती है और वह ध्रुव तारे (Pole Star) के चारों ओर घूमता हुआ प्रतीत होता है।
ध्रुव तारे की स्थिति: जब आप सप्तर्षि की स्थिति में बदलाव देखेंगे, तो आप पाएँगे कि ध्रुव तारा (Polaris) अपनी जगह पर स्थिर रहता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ध्रुव तारा पृथ्वी के घूर्णन अक्ष (Rotation Axis) की सीध में स्थित है।
कच्चा रेखाचित्र (Sketch): यहाँ एक उदाहरण रेखाचित्र दिया गया है कि सप्तर्षि ध्रुव तारे के चारों ओर कैसे घूमता हुआ प्रतीत होता है।
पहला प्रेक्षण: रात 9:00 बजे
ध्रुव तारा↑|*----/ \---- (सप्तर्षि)| |\-------/
दूसरा प्रेक्षण: रात 11:30 बजे
*/----- (सप्तर्षि)| |\-----/|ध्रुव तारा
तीसरा प्रेक्षण: रात 2:00 बजे
\-------/| |----/ \---- (सप्तर्षि)*|ध्रुव तारा
रेखाचित्र में ध्यान दें: सप्तर्षि के दो संकेतक तारे (जो हैंडल के विपरीत हैं) हमेशा ध्रुव तारे की ओर संकेत करते रहते हैं, लेकिन सप्तर्षि की पूरी आकृति समय के साथ ध्रुव तारे के चारों ओर घूमती रहती है।
प्रश्न :11.रात्रि-आकाश के बारे में चिंतन कीजिए और इसके संबंध में कोई कविता अथवा कहानी लिखिए।
उत्तर :🌟 कविता: रात का आकाश 🌟
रात का आकाश है कितना निराला, लाखों-करोड़ों तारों का है इसमें उजाला।
चंदा मामा धीमे-धीमे आते हैं, ठंडी-ठंडी चाँदनी सब पर बिखराते हैं।
ध्रुव तारा एक जगह पर स्थिर है, दिशा दिखाता, वह सबका पथिक है।
देखो वो सप्तर्षि का चमकीला हार, सात तारों का समूह, करते विहार।
ओरायन है शिकारी की आकृति, चमकीले तारों की अनोखी प्रकृति।
कितने रहस्य छिपे इस काले पर्दें में, खोजते फिरते हम इसको हर दर्द में।
देखकर इसको मन होता है शांत, दूर हो जाती है सारी थकान और भ्रांत।








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