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→
सभी जीवधारी अपने वंश या प्रजाति
को बनाये रखने के लिए जनन या गुणन करते हैं।
→ माता-पिता से संतति का जन्म होना, जनन कहलाता
है।
→ पादप में जनन दो प्रकार से होता है- अलैंगिक तथा लैंगिक।
→ अलैंगिक जनन की कुछ विधियाँ खण्डन, मुकुलन, बीजाणु निर्माण और कायिक प्रवर्धन हैं।
→ लैंगिक जनन में नर और मादा युग्मकों का युग्मन होता है।
→ कायिक प्रवर्धन में पत्तियाँ, तना और मूल जैसे कायिक भागों से नये पादप उगाये जाते हैं। पुष्प पादप का जनन अंग है।
→ एकलिंगी पुष्प में या तो नर अथवा मादा जनन अंग होते हैं।→ द्विलिंगी पुष्प में नर और मादा जनन अंग दोनों ही होते हैं।
→ नर युग्मक परागकणों के अन्दर और मादा युग्मक बीजाण्ड में पाये जाते हैं।
→ किसी पुष्प के परागकोश से उसी पुष्प अथवा किसी अन्य पुष्प के वर्तिकाग्र तक परागकणों के स्थानान्तरण की प्रक्रिया परागण कहलाती है। परागण दो प्रकार का होता है, स्वपरागण और परपरागण।
→ परागण पवन, जल और कीटों के द्वारा हो सकता है।
→ नर और मादा युग्मकों का युग्मन निषेचन कहलाता है।
→ निषेचित अण्ड युग्मनज कहलाता है। युग्मनज का विकास भ्रूण में होता है।
→ फल एक परिपक्व अण्डाशय है, जबकि बीजाण्ड बीज में विकसित होता है। बीज में विकासशील भ्रूण होता है।
→ बीजों का प्रकीर्णन पवन, जल अथवा जन्तुओं के द्वारा होता है।
→ जनन – जीव द्वारा अपने जैसे प्रतिरूप उत्पन्न करना।
→ कायिक अंग – पौधों में मूल, तना एवं पत्तियाँ कायिक अंग कहलाती हैं।
→ जनन अंग – वे अंग जो संतति उत्पन्न करने में भाग लेते हैं।
→ अलैंगिक जनन – बिना बीज के ही नये पौधे के निर्माण की विधि।
→ लैंगिक जनन – नर तथा मादा युग्मकों के संयुजन से युग्मनज बनाना तथा युग्मनज से नये पौधे का विकास होना।
→ कायिक प्रवर्धन – पौधे के किसी कायिक भाग से नये पौधे का निर्माण।
→ कलम – किसी पौधे की शाखा का पर्वसन्धि युक्त टुकड़ा जो नए पौधे को जन्म दे सकता है।
→ मुकुलन – अलैंगिक प्रजनन की एक विधि जिसमें कोशिका से एक बल्ब जैसा प्रवर्ध मुकुल बनता है। यह नयी कोशिका का निर्माण करता है। यह प्रक्रिया मुकुलन कहलाती है।
→ खण्डन – किसी एक पौधे या कोशिका का दो या दो से अधिक टुकड़ों में टूटना तथा प्रत्येक खण्ड से एक नये पौधे का बनना।
→ बीजाणु – अलैंगिक जननमें एक पौधे द्वारा उत्पन्न बीज जैसी संरचना जो अंकुरण करके नये पौधे का निर्माण करती है।
→ बीजाणुधानी – बीजाणुओं को उत्पन्न करने वाली थैली जैसी रचना।
→ पुंकेसर – पुष्प के नर जननांग। स्त्रीकेसर-पुष्प के मादा जननांग।
→ एक लिंगी पुष्प – पुष्प जिसमें केवल एक प्रकार का जननांग पाया जाए।
→ द्विलिंगी पुष्प – पुष्प जिसमें दोनों प्रकार के जननांग पाए जाएँ।
→ युग्मक – जनन संरचनाएँ जो युग्मन करके युग्मनज बनाती हैं।
→ परागकोश – नर जननांग पुंकेसर का वह भाग जिसमें परागकण बनते हैं।
→ बीजाण्ड – पुष्प में मादा युग्मक धारण करने वाली संरचना।
→ परागकण – नर युग्मकों का निर्माण करने वाली संरचना।
→ परागण – परागकोष से परागकणों का वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरण।
बूझो/पहेली
प्रश्न 1. पहेली यह समझती थी कि नये पादप सदैव बीजों से ही
उगते हैं, लेकिन उसने कभी गन्ना, आलू और गुलाब
के बीज नहीं देखे थे। वह जानना चाहती है कि ये पादप जनन कैसे करते हैं?
उत्तर: ऐसे पौधों
में कायिक प्रवर्धन होता है। गन्ने एवं गुलाब के टुकड़ों के जमीन में दबाने पर इनसे नये पौधे बन जाते हैं।
प्रश्न 2. बूझो जानना
चाहता है कि क्या कायिक प्रवर्धन का कोई लाभ है?
उत्तर: हाँ, इससे कम
समय में अधिक पौधे तैयार होते हैं।
प्रश्न 3. बूझो जानना
चाहता है कि परागकण में उपस्थित नर युग्मक किस प्रकार बीजाण्ड में उपस्थित मादा
युग्मक तक पहुंचता है?
उत्तर: परागकण जब
वर्तिकाग्र पर पहुँचता है तो इससे एक पराग नलिका बनती है। यह पराग नलिका नर युग्मक
को बीजाण्ड तक पहुँचाती है।
प्रश्न 4. बूझो जानना
चाहता है कि पुष्प सामान्यतः इतने रंग-बिरंगे और सुगन्धयुक्त क्यों होते हैं ? क्या ऐसा कीटों को आकर्षित करने के लिए होता है?
उत्तर: हाँ,पुष्पों के विभिन्न रंग तथा सुगन्ध कीटों को आकर्षित करने के लिए होते हैं जो परागण कराने का
कार्य करते हैं।
7th Class Science 8-पादप में जनन Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1. रिक्त स्थानों
की पूर्ति कीजिए।
(क) जनक पादप के कायिक भागों से नये
पादप के उत्पादन का प्रक्रम ………………….. कहलाता है।
(ख) ऐसे पुष्पों को, जिनमें केवल नर अथवा मादा जनन अंग होता है ………………….. पुष्प कहते हैं।
(ग) परागकणों का उसी अथवा उसी प्रकार
के अन्य पुष्प के परागकोश से वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरण का प्रक्रम ………………….. कहलाता है।
(घ) नर और मादा युग्मकों का युग्मन ………………….. कहलाता है।
(च) बीज प्रकीर्णन ………………….. और ………………….. के द्वारा होता है।
उत्तर: (क) कायिक प्रवर्धन (ख) एकलिंगी (ग) परागण (घ) निषेचन (च) पवन,
कीट, जल।
प्रश्न 2. अलैंगिक जनन की
विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए। प्रत्येक का उदाहरण दीजिए।
उत्तर: कायिक
प्रवर्धन, मुकुलन,
खण्डन, बीजाणु निर्माण
आदि अलैंगिक जनन की विधियाँ हैं।
(1) कायिक प्रवर्धन – इस विधि
में पादपों का कोई कायिक भाग,
जैसे- जड़, तना, पत्ती या
कली, वृद्धि करके नये पौधे का निर्माण करता है।
क्योंकि इस विधि में नये पौधे का निर्माण पौधे के शरीर से होता है बीजों से नहीं, इसीलिए यह
कायिक प्रवर्धन कहलाता है।
(2)
मुकुलन – यीस्ट में
मुकुलन द्वारा प्रजनन सामान्य रूप से पाया जाता है। यह एक कोशिकीय कवक होता है।
इसकी कोशिका से एक बटन जैसी संरचना विकसित होती है जिसे मुकुल कहते हैं। मुकुल
मातृ कोशिका से अलग होकर नई कोशिका बनाता है।
(3)
खण्डन – यह प्रायः
तन्तुवत शैवालों में पाया जाता है। इस विधि में तन्तु दो या अधिक टुकड़ों में टूट
जाता है। प्रत्येक टुकड़ा वृद्धि करके नया शैवाल बनाता है, इसे खण्डन
कहते हैं।
(4)
बीजाणु निर्माण – कुछ जीवाणु, कवकों एवं
शैवालों में कुछ कोशिकाएँ बड़ी होकर बीजाणुधानी बनाती हैं। इनके अन्दर चल या अचल
बीजाणुओं का निर्माण होता है।ये बीजाणु प्रकीर्णित होकर अंकुरण करके नये पादपों का
निर्माण करते हैं।
प्रश्न 3. पादपों में
लैंगिक जनन के प्रक्रम को समझाइए।
उत्तर: पादपों में
लैंगिक जनन: पादपों में जनन अंग पुष्प के अन्दर होते हैं।
नर जननांग पुंकेसर तथा मादा जननांग स्त्रीकेसर कहलाते हैं। पुंकेसर के परागकोष के
अन्दर असंख्य परागकणों का निर्माण होता है। परागकणों के अन्दर नर युग्मक बनते हैं।
स्त्रीकेसर के अन्दर अण्डाशय बनते हैं। अण्डाशय का सबसे ऊपरी भाग वर्तिकाग्र कहलाता
है। अण्डाशय के अन्दर अण्डप उपस्थित होता है और अण्डप के अन्दर मादा युग्मक का
विकास होता है।
परागकोश के अन्दर निर्मित परागकण अण्डाशय के वर्तिकाग्र पर पहुंचता है। वर्तिकाग्र पर परागकण अंकुरण करके एक पराग नलिका बनाता है। पराग नलिका नर युग्मक को अण्डाशय के भीतर छोड़ देती है। अण्डाशय के अन्दर नर तथा मादा युग्मकों के बीच संयुजन होता है जिससे युग्मनज बनता है। युग्मनज वृद्धि करके भ्रूण बनाता है। भ्रूण बीज में सुरक्षित रहता है। जब बीज को बोया जाता है तो यह अंकुरण करके नये पौधे को जन्म देता है।
प्रश्न 4. अलैंगिक तथा
लैंगिक जनन के बीच प्रमुख अन्तर बताइए।
उत्तर: अलैंगिक जनन में युग्मकों का निर्माण नहीं होता,
जबकि लैंगिक जनन में युग्मकों का निर्माण एवं
संयुजन होता है।
प्रश्न 5. किसी पुष्प का
चित्र खींचकर उसमें जनन अंगों को नामांकित कीजिए।
उत्तर:
पुष्प
के विभिन्न भागों की विशेषता एवं कार्य –
1. पुष्पवृन्त (Pedicel) विशेषता – पुष्पवृन्त डण्ठलनुमा होता है ।
कार्य
– पुष्प को पौधे से जोड़ता है ।
2. पुष्पासन (Receptecle) विशेषता – यह पुष्प का आसन होता है । यह सामान्यतः फूला हुआ व चपटा होता है ।
कार्य
– यह पुष्प के अन्य भागों को आधार प्रदान करता है ।
3. बाह्यदलपुंज (Calyx) विशेषता – यह फूल का सबसे बाहरी भाग है, जो हरी पत्तियों के रूप में होता है। पुष्प के सभी
बाह्यदल (sepal) मिलकर बाह्यदलपुंज का
निर्माण करते हैं ।
कार्य
– पुष्प की कलिका अवस्था में आंतरिक अंगों की रक्षा करता है ।
4. दलपुंज (Corolla) विशेषता – बाह्यदलपुंज के भीतरी भाग को दलपुंज कहते हैं । पुष्प
के सभी दल (Petal) मिलकर दलपुंज का
निर्माण करते हैं । दल को पंखुड़ी भी कहते है । इनका रंग विभिन्न फूलों में
अलग-अलग होता है ।
कार्य- परागण हेतु कीटों व
पक्षियों को आकर्षित करते हैं ।
5. पुंकेसर (Stamen) विशेषता – यह पुष्प का नर जनन भाग है । पुंकेसर की संख्या तथा
लंबाई विभिन्न प्रजाति के पुष्पों में भिन्न-भिन्न होती है । इसके मुख्यतः दो भाग
होते हैं – परागकोश (Anther) एवं पुतंतु (Filament)
।
पुतंतु की सहायता से परागकोश पुष्प से जुड़े रहते हैं।परागकोष के अन्दर परागकण होते हैं जो निषेचन के पश्चात् बीज बनते हैं ।
सामान्यतः
परागकोश द्विपालित एवं चतुर्थबीजाणुधानी युक्त होते हैं ।
कार्य- यहाँ परागकोशों में
परागकणों का निर्माण होता है ।
6. स्त्रीकेसर (Pistil)
विशेषता- यह पुष्प का मादा जनन
भाग होता है । प्रायः इनकी संख्या एक होती है । इसके तीन भाग होते हैं– i. वर्तिकाग्र (Stigma) – यह स्त्रीकेसर का शीर्ष भाग है जो परागकणों के अवतरण हेतु मंच का
कार्य करता है ।
ii. वर्तिका (Stile) – यह स्त्रीकेसर का भाग मध्य भाग है जो दीर्घीकृत तथा
पतला होता है और वर्तिकाग्र के ठीक नीचे पाया जाता है ।
iii. अण्डाशय (Ovary) – यह स्त्रीकेसर का आधारी भाग है जो फूला हुआ होता है ।
इसमें बीजाण्ड स्थित होते हैं ।
कार्य – अण्डाशय से फल एवं बीजाण्ड से बीज का निर्माण होता है ।
प्रश्न 6. स्व-परागण तथा
पर-परागण के बीच अन्तर बताइए।
उत्तर: यदि
परागकोश से मुक्त परागकण उसी पुष्प या उसी पौधे के किसी अन्य पुष्प के वर्तिकाग्र पर
पहुँच कर निषेचन क्रिया सम्पन्न करते हैं तो इसे स्वपरागण कहते हैं। यदि परागकोश
से मुक्त परागकण उसी जाति के किसी अन्य पौधे के पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुँचकर उसे
निषेचित करते हैं तो इसे पर-परागण कहते हैं।
प्रश्न 7. पुष्यों में
निषेचन का प्रक्रम किस प्रकार सम्पन्न होता है ?
उत्तर: परागकण वर्तिकाग्र पर अंकुरित होकर पराग नलिका बनाते हैं। यह पराग नलिका नर युग्मक को
अण्डाशय के भीतर पहुँचाती है। अण्डाशय के अन्दर उपस्थित मादा युग्मक तथा नर युग्मक
आपस में युग्मन करते हैं,
इसी प्रक्रम को निषेचन कहते हैं।
इस प्रक्रिया के फलस्वरूप युग्मनज का निर्माण होता है।
प्रश्न 8. बीजों के
प्रकीर्णन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर: बीजों के
प्रकीर्णन की विभिन्न विधियाँ निम्न प्रकार हैं
(1) पवन द्वारा बहुत से पौधों के बीज
बहुत हल्के होते हैं जो पवन के साथ आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थानों पर उड़कर
पहुँच जाते हैं। कुछ पादपों,
जैसे- सहजन तथा द्विफल (मैपिल) के
बीज पंखयुक्त होते हैं जो आसानी से वायु में एक स्थान से दूसरे स्थान पर उड़कर
पहुंचते हैं। सूरजमुखी एवं आक में रोमयुक्त बीज होते हैं जो पवन (वायु) के साथ
उड़कर एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँच जाते हैं।
(2)
जल द्वारा नारियल तथा कमल में
बीजों का प्रकीर्णन जल द्वारा होता है। ये बीज पानी की धाराओं द्वारा एक स्थान से
दूसरे स्थान पर ले जाये जाते हैं।
(3)
जानवरों द्वारा – काँटेदार
बीज; जैसे-जैन्थियम, चिरचिटा
आदि जन्तुओं के बालों में उलझकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँच जाते हैं।
(4)
फैलकर-कुछ पौधों में फल झटके के
साथ फटते हैं जिससे अनेक बीज छिटककर दूर-दूर बिखर जाते हैं।
प्रश्न 9. कॉलम A में दिये गये शब्दों का कॉलम B में दिये गये शब्दों से मिलान कीजिए-
|
कॉलम A |
कॉलम B |
|
(क) कली/मुकुल |
(i) मैपिल |
|
(ख) आँख |
(ii) स्पाइरोगाइरा |
|
(ग) खण्डन |
(iii) यीस्ट |
|
(घ) पंख |
(iv) डबलरोटी का फफूंद |
|
(च) बीजाणु |
(v) आलू |
|
(vi) गुलाब |
उत्तर:
|
कॉलम A |
कॉलम B |
|
(क) कली/मुकुल |
(iii) यीस्ट |
|
(ख) आँख |
(v) आलू |
|
(ग) खण्डन |
(ii) स्पाइरोगाइरा |
|
(घ) पंख |
(i) मैपिल |
|
(च) बीजाणु |
(iv) डबलरोटी का फफूंद |
प्रश्न 10. सही विकल्प पर
(✓)
निशान लगाइए
(क) पादप का जनन भाग होता है, उसका- (i) पत्ती/पर्ण (ii) तना (iii) मूल (iv) पुष्प।
उत्तर: (iv)
पुष्प। ✓
(ख) नर और मादा
युग्मक के युग्मन का प्रक्रम कहलाता है- (i) निषेचन (ii) परागण (iii) जनन (iv) बीज निर्माण।
उत्तर: (i)
निषेचन ✓
(ग) परिपक्व
होने पर अण्डाशय विकसित हो जाता है- (i) बीज में (ii) पुंकेसर में (iii) स्त्रीकेसर में (iv) फल में।
उत्तर: (iv)
फल में। ✓
(घ) बीजाणु
उत्पन्न करने वाला एक पादप जीव है। (i) गुलाब (ii) डबलरोटी का फफूंद (iii)
आलू (iv) अदरक।
उत्तर: (ii)
डबलरोटी का फफूंद ✓
(च) ब्रायोफिलम
अपने जिस भाग द्वारा जनन करता है, वह है- (i) तना (ii) पत्ती (iii) मूल (iv) पुष्प।
उत्तर: (ii)
पत्ती ✓
7th Class Science पादप में जनन Important
Questions and Answers वस्तुनिष्ठ प्रश्न
I. बहुविकल्पीय प्रश्न
निम्नलिखित प्रश्नों में से सही विकल्प का चयन
कीजिए।
1. आलू में कायिक प्रजनन संरचना है।
(क) भूमिगत प्रकन्द (ख) वायवीय तना (ग) पत्ती (घ) पुष्प
उत्तर: (क) भूमिगत प्रकन्द
2. किस्में जड़ों द्वारा कायिक जन्न होता है ?
(क) आलू (ख) शकरकंद (ग)
ब्रायोफिल्लम (घ) गुलाब
उत्तर: (ख) शकरकंद
3. बीजाणुधानी पायी जाती है।
(क) सरसों में (ख) यीष्ट में (ग) राइजोपस (कवक) में (घ) स्पाइरोगाइरा में
उत्तर: (ग) राइजोपस (कवक) में
4. मादा जनमांग (कवक) में।
(क) पुभंग (ख) परागकोष (ग) परागकण (घ) जायांग
उत्तर: (घ) जायांग
5. जैन्धियम में बीजों का प्रकीर्णन होता है।
(क) वायु द्वारा (ख) जन्तुओं द्वारा (ग) जल द्वारा (घ) तितली द्वारा
उत्तर: (ख) जन्तुओं द्वारा
II. रिक्त स्थान
निम्नलिखित वाक्यों में रिक्त स्थान भरिए।
1. यीस्ट कोशिका से बाहर निकलने वाला
छोटा बल्ब जैसा प्रवर्ध ………… कहलाता है।
2. ………… पुष्प के नर जनन अंग तथा ………… पुष्प के मादा जनन अंग होते हैं।
3. परागकोष में ………… का निर्माण होता है।
4. ………… भ्रूण में विकसित होता है।
उत्तर: 1.
मुकुल 2.
पुंकेसर, स्त्रीकेसर 3, परागकणों 4. युग्मनज।
III.
सुमेलन
कॉलम A के शब्दों का कॉलम B के शब्दों से मिलान कीजिए।
|
कॉलम A |
कॉलम B |
|
1.स्त्रीकेसर |
(a).परागकण |
|
2. पुंकेसर |
(b). बीजाणु |
|
3. फल |
(c). भ्रूण |
|
4. बीज |
(d). बीज |
उत्तर:
|
कॉलम A |
कॉलम B |
|
1.स्त्रीकेसर |
(b).बीजाणु |
|
2. पुंकेसर |
(a).परागकण |
|
3. फल |
(d). बीज |
|
4. बीज |
(c). भ्रूण |
IV. सत्य/असत्य
निम्नलिखित वाक्यों में से सत्य एवं असत्य कथन
छाँटिए।
1. आम, सेब और सन्तरा
रसीले फल होते हैं।
2. भ्रूण से बीजाण्ड विकसित होता है।
3. मैपिल में पंख युक्त बीज पाए जाते
हैं।
4. आक में बीजों का प्रकीर्णन वायु
द्वारा होता है।
उत्तर: 1.
सत्य 2.
असत्य 3.
सत्य 4.
सत्य।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. प्रजनन क्या
होता है?
उत्तर: किसी
जीवधारी द्वारा अपने जैसे प्रतिरूप उत्पन्न करना प्रजनन कहलाता है।
प्रश्न 2. पादपों के
कायिक जनन अंग कौन-कौन से होते हैं ?
उत्तर: जड़, तना, पत्तियाँ, पादपों के
कायिक जनन अंग होते हैं।
प्रश्न 3. पौधों के
जननांग कहाँ पाये जाते हैं?
उत्तर: पुष्प के
अन्दर।
प्रश्न 4. चम्पा में
अलैंगिक प्रजनन की विधि क्या है?
उत्तर: कलम लगाना।
प्रश्न 5. अदरक एवं हल्दी
में उन अंगों के नाम लिखिए जिनसे कायिक प्रजनन होता है ?
उत्तर: अदरक एवं
हल्दी में प्रकन्द द्वारा कायिक प्रजनन होता है।
प्रश्न 6. गुलाब अथवा
चम्पा के पौधे की कलम से नए पत्ते बनने में कितना समय लगता है? (क्रियाकलाप)
उत्तर: लगभग दो
सप्ताह।
प्रश्न 7. आलू के आँख
युक्त टुकड़े को मिट्टी में दबाने पर कुछ दिनों बाद आप क्या देखेंगे?
उत्तर: आलू की आँख
से कलिका प्रस्फुटित होकर नया पौधा बना देगी।
प्रश्न 8. फर्न में
बीजाणु कहाँ उत्पन्न होते हैं?
उत्तर: फर्न में
बीजाणु पत्तियों पर उपस्थित बीजाणुधानियों में बनते हैं।
प्रश्न 9. सरसों में
प्रजनन विधि क्या होती है?
उत्तर: लैंगिक
प्रजनन।
प्रश्न 10. युग्मन से आप
क्या समझते हैं?
उत्तर: नर एवं
मादा युग्मकों के आपस में मिलने को युग्मन कहते हैं।
प्रश्न 11. एकलिंगी पुष्य
तथा द्विलिंगी पुष्प का उदाहरण लिखिए।
उत्तर: कदू, ककड़ी, लौकी आदि
में एकलिंगी पुष्प पाये जाते हैं। सरसों,
मटर आदि में द्विलिंगी पुष्प पाये
जाते हैं।
प्रश्न 12. एक रसीले तथा
एक कठोर फल का नाम बताइए।
उत्तर: रसीला
फल-आम, कठोर फल-बादाम।
लयु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. आलू एवं अदरक में कायिक प्रजनन किस प्रकार होता है ? नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर: आलू में कायिक प्रजनन कन्द पर उपस्थित आँखों से तथा अदरक में प्रकन्द पर उपस्थित अपस्थानिक कलिकाओं से होता है।
प्रश्न 2. बायोफिलम में प्रजनन किस प्रकार होता हैं
उत्तर: बायोफिलम
(पत्थरचटा) में कायिक प्रजनन पत्तियों द्वारा होता है। इसमें पत्तियों के किनारे
की खाँचों से कलिकाएँ उत्पन्न होकर नये पादप का निर्माण करती हैं।
प्रश्न 3. यीस्ट में मुकुलन विधि को चित्र बनाकर समझाइए।
उत्तर: यीस्ट एक
एककोशिकीय कवक है। इसमें मुकुलन द्वारा प्रजनन सामान्य रूप से पाया जाता है।
इसकी कोशिका से एक बल्ब जैसा प्रवर्ध उत्पन्न होता है। इसे मुकुल या कली कहते हैं।
मुकुल क्रमशः वृद्धि करता है और जनक कोशिका से अलग होकर नयी यीस्ट कोशिका बनाता
है। कभी-कभी ये मुकुल मातृकोशिका से अलग नहीं होते जिससे कोशिकाओं की एक छोटी
श्रृंखला बन जाती है।
प्रश्न 4. स्पाइरोगाइरा
में खण्डन प्रक्रिया को चित्र द्वारा समझाइए।
उत्तर: स्पाइरोगाइरा
एक तन्तुवत शैवाल होता है। जब तालाब में पोषक तत्व भरपूर होते हैं तो ये शैवाल खुब
वृद्धि करते हैं। शैवाल तन्तु अनेक भागों में विखण्डित हो जाता है। ये खण्ड अथवा
टुकड़े नये शैवालों का निर्माण करते हैं।
प्रश्न 5. किसी कवक में बीजाणु निर्माण को चित्र द्वारा बनाइए।
उत्तर: डबलरोटी के
फफूंद (कवक) में बीजाणु द्वारा प्रजनन होता है। डबलरोटी पर रुई जैसे बाल उत्पन्न
हो जाते हैं जिसे कवक जाल कहते हैं। इससे ऊपर की ओर कुछ धागे जैसी संरचनाएँ बनती
हैं। इन धागों के शीर्ष पर एक गोलाकार संरचना बनती हैं जिसे बीजाणुधानी कहते हैं।
बीजाणुधानी में असंख्य बीजाणुओं का निर्माण होता है। ये बीजाणु हवा द्वारा
उड़-उड़कर बहुत दूर-दूर तक पहुँच जाते हैं। उपयुक्त माध्यम पर गिरकर वहाँ नये कवक
जाल का निर्माण करते हैं।
दीर्य उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. लैंगिक जनन
क्या होता है?
पौधे के नर तथा मादा जननांगों का सचित्र
वर्णन कीजिए।
उत्तर: लैंगिक
जनन: यह प्रजनन की एक विधि है जिसमें नर एवं मादा – युग्मकों
का संयुजन होता है। नर युग्मकों का निर्माण नर जननांग (पुंकेसर) में होता है तथा
मादा युग्मकों का निर्माण मादा जननांग (स्त्रीकेसर) में होता है।
नर जननांग-पौधे के नर जननांग पुंकेसर कहलाते
हैं। प्रत्येक पुंकेसर के दो भाग होते हैं-
·
पुतंतु,
·
परागकोष।
परागकोष के अन्दर परागकणों का निर्माण होता है।
मादा जननांग: पौधे के मादा जननांग
स्त्रीकेसर कहलाते हैं। प्रत्येक मा स्त्रीकेसर के तीन भाग होते हैं
·
अण्डाशय
·
वर्तिका
· वर्तिकाग्र।
अण्डाशय स्त्रीकेसर का नीचे का फूला हुआ भाग होता है जिसमें बीजाण्ड पाये जाते हैं। अण्डाशय के ऊपर का संकरा भाग वर्तिका कहलाता है। वर्तिका के ऊपर एक गोलाकार संरचना वर्तिकाग्र कहलाती है। वर्तिकाग्र पर ही परागकण स्थानान्तरित होते हैं।
प्रश्न 2. पौधों में
परागण की क्रिया का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर: परागण :
परागकोष से परागकणों का वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरण परागण कहलाता है। परागण दो प्रकार
का होता है- (1) स्व-परागण
: जब किसी पुष्प के परागकोश से निकले परागकण उसी पुष्प या उसी पौधे के किसी दूसरे
पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुँचते हैं तो इसे स्व-परागण कहते हैं।
(2) पर-परागण : जब किसी पुष्प के परागकोश से निकले परागकण किसी दूसरे पौधे के किसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरित होते हैं तो इसे पर-परागण कहते हैं।
परागण की क्रिया पवन, जल, कीट या पक्षियों द्वारा सम्पन्न होती है। पौधों में मुख्यत: कीट परागण पाया जाता है। जब कोई कीट पुष्प पर मकरन्द चूसने के लिए पहुँचता है तो उस पुष्य के परागकण कीट से चिपक जाते हैं। जब यही कीट किसी दूसरे पुष्प पर पहुँचता है तो परागकण वर्तिकाग्र पर गिर जाते हैं। इस प्रकार परागण क्रिया सम्पन्न होती है।
प्रश्न 3. निषेचन क्रिया
का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर: निषेचन:-नर तथा
मादा युग्मकों के युग्मन की क्रिया निषेचन कहलाती है। परागण की क्रिया में वर्तिकाग्र पर छोड़ा गया परागकण अंकुरित होकर पराग नलिका बनाता है। इस पराग नलिका
में नर युग्मक उपस्थित होता है। पराग नलिका नर युग्मक को बीजाण्ड में स्थित अण्ड
कोशिका तक पहुँचा देती है। अण्ड कोशिका में मादा युग्मक होता है। नर एवं मादा
युग्मकों का संयुजन होकर युग्मनज बनता है। इस सम्पूर्ण प्रक्रम को निषेचन कहते
हैं।
प्रश्न 4. फल एवं बीजों
का विकास किस प्रकार होता है? बीजों के
प्रकीर्णन में सहयक कुछ रचनाओं का चित्र सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर: फल एवं बीज
का विकास : निषेचन के पश्चात् अण्डाशय फल में विकसित होता है, जबकि पुष्प
के अन्य भाग मुरझाकर गिर जाते हैं। बीजाण्ड से बीज का निर्माण होता है। बीज में
युग्मनज से बना एक भ्रूण होता है। जो सुरक्षात्मक बीजावरण के अन्दर होता है।
बीज प्रकीर्णन : बीजों का एक
स्थान से दूसरे स्थान पर बिखरना प्रकीर्णन कहलाता है। प्रकीर्णन वायु, जल या
जानवरों द्वारा होता है।
(i) वायु द्वारा प्रकीर्णित होने वाले
बीज प्रायः हल्के अथवा पंख या रोम युक्त होते हैं जो आसानी से वायु में उड़ जाते हैं।
(ii) जल द्वारा प्रकीर्णित होने वाले
बीज प्रायः हल्के,
तरणशील (तैरने वाले) तथा न गलने
वाले होते हैं।
(iii) जन्तुओं द्वारा प्रकीर्णित होने
वाले बीज काँटे युक्त होते हैं। कुछ बीज जन्तुओं द्वारा खा लिये जाते हैं और उनके – मल के साथ
दूर-दूर पहुँचाये जाते हैं।
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