सुरक्षा सक्रिय: इस सामग्री से कॉपी करना, राइट-क्लिक, और सेव/प्रिंट शॉर्टकट अक्षम कर दिए गए हैं।
Chapter-10 "सजीव-विशेषताओं का अन्वेषण" कक्षा 6 की विज्ञान की पाठ्य पुस्तक
"जिज्ञासा"
"सजीव-विशेषताओं का अन्वेषण " कक्षा 6 की विज्ञान की पाठ्य पुस्तक "जिज्ञासा" का दसवां अध्याय है। नीचे इस अध्याय के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर दिए गए हैं, जो पाठ्य पुस्तक और सामान्य शिक्षण पैटर्न पर आधारित हैं।
प्रमुख शब्द :
प्रश्न
:1. पौधों और जंतुओं के जीवन-चक्र में समानताओं और भिन्नताओं को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर:1. पौधों और जंतुओं के जीवन-चक्र में
समानताएँ :
1. दोनों जन्म लेते हैं।
2. दोनों का एक
विकासात्मक चरण होता है।
3. दोनों अपनी प्रजाति की
निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए प्रजनन करते हैं।
4. दोनों गति करते हैं।
5. दोनों श्वसन करते हैं।
6. दोनों पोषण करते हैं।
7. दोनों बढ़ते हैं।
8. दोनों उत्सर्जन करते
हैं।
पौधों और जंतुओं
के जीवन-चक्र में भिन्नताएँ :
|
विशेषता |
जंतु (उदाहरण: मानव/पक्षी) |
पौधे (उदाहरण: फली का पौधा) |
|
जन्म |
एक जंतु का जीवन नवजात शिशु से शुरू होता है। |
एक पौधे का जीवन बीज के अंकुरण से शुरू होता है। |
|
गति/चलन |
अधिकांश गतिशील होते हैं। |
आम तौर पर स्थिर होते हैं। |
|
पोषण |
भोजन के लिए प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पौधों पर
निर्भर करते हैं। |
अधिकांशतः स्वपोषी (प्रकाश संश्लेषण द्वारा अपना भोजन
स्वयं बनाते हैं)। |
|
वृद्धि |
वृद्धि निश्चित समय तक होती है। |
वृद्धि अनिश्चित समय (अंत) तक होती है। |
|
जीवन-चक्र |
अंडा/नवजात → किशोर → वयस्क → जनन। (कुछ में रूपांतरण होता है- जैसे मेंढक में: टैडपोल)। |
बीज → अंकुरण → नवोद्भिद → वयस्क पौधा → फूल → फल (बीज)। |
प्रश्न
:2. नीचे तालिका में कुछ विवरण (डाटा) दिया गया है। तालिका का अध्ययन कीजिए
और
दूसरे व तीसरे स्तंभ में दी गई स्थितियों के लिए उपयुक्त उदाहरणों का पता लगाने
का
प्रयास कीजिए। यदि आपको लगता है कि नीचे दी गई किसी भी स्थिति के लिए,
उदाहरण
संभव नहीं है, तो स्पष्ट कीजिए कि ऐसा क्यों है?
उत्तर:2.
|
क्रम सं. |
क्या इसकी वृद्धि होती है? |
क्या यह श्वास लेता है ? |
उदाहरण |
टिप्पणी |
|
1. |
नहीं |
नहीं |
लकड़ी, पत्थर,
मेज, पेंसिल। |
ये निर्जीव वस्तुएँ
हैं जिनमें कोई सजीव लक्षण नहीं पाया जाता है। |
|
2. |
नहीं |
हाँ |
वायरस बैक्टीरिया |
इनमें श्वसन तंत्र होता है। |
|
3. |
हाँ |
नहीं |
हिमखंड और पहाड़
आदि |
यह पदार्थ के संचय
से बढ़ाते हैं। |
|
4. |
हाँ |
हाँ |
मनुष्य, पौधा,
कबूतर, बिल्ली, बीज
(अंकुरण के बाद)। |
ये सभी सजीव प्राणी हैं जो जीवन की सभी अनिवार्य
विशेषताओं को प्रदर्शित करते हैं। |
प्रश्न
:3. आपने सीखा है कि बीजों के अंकुरण के लिए भिन्न-भिन्न परिस्थितियों की आवश्यकता
होती है। अनाजों और दालों के उपयुक्त भंडारण के लिए हम इस ज्ञान का उपयोग किस
प्रकार कर सकते हैं?
उत्तर:3. बीज के अंकुरण के लिए जल (नमी) और वायु (ऑक्सीजन) की उपयुक्त मात्रा
अनिवार्य है। हम इस ज्ञान का उपयोग अनाजों और दालों के भंडारण में इस प्रकार कर सकते
हैं:
1. नमी (जल) का नियंत्रण: अंकुरण की प्रक्रिया को रोकने के लिए, अनाज और दालों को
भंडारित करने से पहले उन्हें अच्छी तरह से सुखाया जाता है। यदि बीज में नमी बनी रहती है,
तो वह अंकुरित हो सकता है या उसमें कवक/फफूंदी (FUNGI) लग सकती है, जिससे वह
खराब हो
जाएगा।
2. वायु का नियंत्रण: यदि बीजों में नमी की मात्रा अधिक है, तो वे श्वसन के लिए वायु का
उपयोग करके अंकुरित होने का प्रयास कर सकते हैं। सही भंडारण के लिए, उन्हें ऐसे स्थानों
पर रखना चाहिए जहाँ तापमान और नमी कम हो, जिससे उनमें जीवन की गतिविधियाँ (जैसे
श्वसन और अंकुरण)
धीमी रहें।
3. तापमान का नियंत्रण: अत्यधिक उच्च तापमान बीजों को नष्ट कर सकता है, जबकि कम
तापमान (जैसे कोल्ड स्टोरेज) उनकी जीवन गतिविधियों को धीमा कर देता है, जिससे वे लंबे
समय तक
सुरक्षित रहते हैं।
प्रश्न :4. आपने सीखा है कि टैडपोल की एक पूँछ होती है लेकिन जब वृद्धि के बाद यह मेंढक
बनता है तो पूँछ लुप्त हो जाती है। टैडपोल अवस्था में पूँछ होने से क्या
लाभ मिलता है?
उत्तर:4. 1. पूँछ
उन्हें जल में तैरने में मदद करती है ।
2. पूँछ तैरते समय
संतुलन और स्थिरता प्रदान करती है।
अथवा
टैडपोल मेंढक के जीवन-चक्र की लार्वा अवस्था है जो पानी में रहती है।
लाभ: टैडपोल अवस्था में पूँछ होने से उसे जल में गति करने में मदद मिलती है। पूँछ
एक पतवार की तरह काम करती है, जिससे टैडपोल पानी में तैर सकता है, भोजन और
सुरक्षित स्थान की खोज कर सकता है, और शिकारियों से बच सकता है।
जब टैडपोल वयस्क मेंढक में रूपांतरित होता है, तो वह जमीन पर और पानी दोनों जगह
रह सकता है। वयस्क मेंढक पानी में तैरने के लिए अपने मजबूत पैरों का उपयोग करता है,
इसलिए पूँछ की आवश्यकता समाप्त हो जाती है और यह लुप्त हो जाती है।
प्रश्न :5. चरण का कहना है लकड़ी का लट्ठा निर्जीव है क्योंकि इसमें गति नहीं होती। इसके
विपरीत चारु इसे सजीव मानती हैं, क्योंकि यह वृक्षों से प्राप्त होता है। चरण और चारु के
कथनों के पक्ष या विपक्ष में अपने-अपने तर्क दीजिए ।
उत्तर:5.
|
व्यक्ति |
कथन |
तर्क के पक्ष में कथन |
तर्क के विपक्ष में कथन |
|
चरण |
लकड़ी का लट्ठा निर्जीव है क्योंकि इसमें गति नहीं होती। |
लकड़ी के लट्ठे में सजीवों की कोई भी विशेषता (जैसे: भोजन
की आवश्यकता, वृद्धि, श्वसन,
जनन, उद्दीपन के प्रति अनुक्रिया) नहीं है। यह
अपने आप एक स्थान से दूसरे स्थान पर गति नहीं कर सकता। |
चारु का तर्क: गति (एक जगह से दूसरी जगह जाना) सभी सजीवों
का एकमात्र लक्षण नहीं है। पेड़ तो सजीव होते हुए भी गति नहीं करते है। |
|
चारु |
लकड़ी का लट्ठा सजीव है क्योंकि यह वृक्षों से प्राप्त होता
है। |
वृक्ष (जिससे लकड़ी प्राप्त हुई) एक सजीव प्राणी था जो
वृद्धि करता था, श्वसन करता था और जनन करता था। |
चरण का तर्क: जब लकड़ी को वृक्ष से काटकर लट्ठा बनाया
जाता है, तो यह मृत हो जाता है। इसमें अब जीवन की
कोई गतिविधि (जैसे: वृद्धि, श्वसन, उत्सर्जन)
शेष नहीं रहती है। यह सजीव से निर्जीव में बदल जाता है,इसलिए
अब यह निर्जीव वस्तु बन जाता है। |
निष्कर्ष : लकड़ी का लट्ठा एक निर्जीव वस्तु है, भले ही वह एक सजीव पेड़ से प्राप्त हुआ हो।
इसमें अब सजीवों के
अनिवार्य लक्षण (जैसे श्वसन, उत्सर्जन) नहीं हैं।
प्रश्न :6. मच्छर और मेंढक के जीवन-चक्र में क्या समानताएँ और क्या विभेद कारी विशेषताएँ
होती हैं?
उत्तर:6. मच्छर और मेंढक दोनों ही रूपांतरण (METAMORPHOSIS) द्वारा विकसित होते हैं
और जलीय आवास से जुड़े होते हैं।
समानताएँ (SIMILARITIES):
|
विशेषता |
मच्छर का जीवन-चक्र |
मेंढक का जीवन-चक्र |
|
जनन स्थल |
अंडे प्रायः स्थिर जल निकायों में दिए जाते हैं। |
अंडे प्रायः स्थिर जल निकायों में दिए जाते हैं। |
|
जीवन-चक्र |
दोनों में चार स्पष्ट अवस्थाएँ होती हैं (पूर्ण
रूपांतरण)। |
दोनों में चार स्पष्ट अवस्थाएँ होती हैं (पूर्ण
रूपांतरण)। |
|
लार्वा अवस्था |
लार्वा (जिसे मैगट या रिंगलर कहते हैं) पानी में रहता है। |
लार्वा (जिसे टैडपोल कहते हैं) पानी में रहता है। |
विभेदकारी
विशेषताएँ (DIFFERENCES):
|
विशेषता |
मच्छर का जीवन-चक्र |
मेंढक का जीवन-चक्र |
|
अवस्थाएँ |
अंडा → लार्वा (रिंगलर)
→ प्यूपा → वयस्क मच्छर। |
अंडा → टैडपोल (लार्वा)
→ मेंढक का
बच्चा → वयस्क
मेंढक। |
|
प्यूपा/मध्य अवस्था |
लार्वा के बाद प्यूपा अवस्था होती है, जो निष्क्रिय होती है। |
टैडपोल के बाद सीधे छोटे मेंढक में रूपांतरण होता है; कोई विशिष्ट निष्क्रिय प्यूपा अवस्था
नहीं होती है। |
|
श्वसन (लार्वा में) |
लार्वा पानी की सतह पर तैरता है और एक श्वास नली से हवा
में सांस लेता है। |
टैडपोल गलफड़ों (Gills) द्वारा पानी में घुली ऑक्सीजन से सांस लेता है। |
|
जीवन-चक्र |
मच्छर का जीवन चक्र 2-4 दिन से लेकर चार सप्ताह तक होता है। |
मेंढक का जीवन चक्र लगभग 14 सप्ताह का होता है। |
प्रश्न :7. एक पौधे को उसकी वृद्धि के लिए उपयुक्त सभी स्थितियाँ उपलब्ध कराई गई हैं (चित्र
10.9)। एक सप्ताह पश्चात आप इस पौधे के प्ररोह और जड़ में क्या देखने की अपेक्षा करते
हैं? उसका चित्र बनाइए। इसके कारण भी लिखिए।
चित्र
-10.9
भूमि पर रखा गमला
उत्तर:7. एक सप्ताह पश्चात हम निम्नलिखित अवलोकन
करने की अपेक्षा करते हैं:
1. प्ररोह की वृद्धि (तना): प्ररोह (तना और पत्तियाँ) ऊपर की ओर मुड़ जाएगा और ऊपर की
दिशा में (गुरुत्वाकर्षण के विपरीत) वृद्धि करना जारी रखेगा।
2. जड़ की वृद्धि: जड़ नीचे की ओर मुड़ जाएगी और नीचे की दिशा में (गुरुत्वाकर्षण की
दिशा में) वृद्धि करना जारी रखेगी।
कारण :
इसका कारण पौधे के दो
प्रकार के उद्दीपन के प्रति अनुक्रिया है:
1. तने में पत्तियाँ होती हैं जो सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में पौधे के लिए भोजन बनाती हैं।
यही कारण है कि तना प्रकाश की ओर और गुरुत्वाकर्षण (पृथ्वी के खिंचाव) के विरुद्ध बढ़ता
है।
2. जड़ें मिट्टी से जल और खनिजों को अवशोषित करती हैं, जो मिट्टी में उपस्थित होते हैं। जड़ों
के बिना पौधा जीवित नहीं रह सकता है। जड़ें गुरुत्वाकर्षण (पृथ्वी के खिंचाव) के कारण नीचे
की ओर
बढ़ती हैं।
प्रश्न :8. तारा और विजय ने एक प्रयोग का सेट-अप तैयार किया है जिसे (चित्र 10.10) में
दर्शाया गया है। आप क्या सोचते हैं कि वे क्या पता करना चाहते हैं? और, उन्हें यह कैसे पता
चलेगा कि वे सही हैं?
चित्र
10.10 प्रयोग के लिए सेट-अप
उत्तर:8. वे जड़ और अंकुर की दिशा का पता लगाना चाहते हैं। जड़ नीचे की ओर बढ़ती है
और अंकुर ऊपर की ओर बढ़ता है। यदि तीनों गमलों के पौधों को विकास की अनुकूल
परिस्थितियाँ मिल रही हैं, तो उन्हें एक सप्ताह के बाद पता चलतारा और विजय यह पता लगाना चाहते हैं कि पौधे का प्ररोह (तना) सूर्य के प्रकाश की दिशा
में वृद्धि करता है या नहीं। इस वैज्ञानिक सिद्धांत को प्रकाशानुवर्तन (PHOTOTROPISM)
कहा जाता है।
परिणाम :
• अवलोकन: यदि एक सप्ताह के बाद पौधे का प्ररोह (तना) मुड़कर उस एक दिशा में बढ़ने
लगता है
जहाँ से बक्से के छेद के माध्यम से प्रकाश आ रहा है, तो उनका
अनुमान सही है।
• निष्कर्ष: यह अवलोकन यह स्थापित करता है कि पौधे के प्ररोह धनात्मक प्रकाशानुवर्तन
प्रदर्शित
करते हैं (प्रकाश की ओर वृद्धि करते हैं) ।
प्रश्न :9. बीज अंकुरण पर तापमान के प्रभाव की जाँच करने के लिए एक प्रयोग की योजना
लिखिए।
उत्तर:9. उद्देश्य : बीज अंकुरण पर तापमान के
प्रभाव की जाँच करना ।
आवश्यक सामग्री : दो समान बीकर, मिट्टी, बीज, थर्मामीटर और अलग-अलग तापमान
नियंत्रित
वातावरण (जैसे, कमरा, रेफ्रिजरेटर आदि)
प्रक्रिया :
- दो बीकर लें, A और B लेबल करें।
- प्रत्येक बीकर में गीली रूई
पर कुछ चने के बीज रखें।
- बीकर A को कमरे के बाहर खुली जगह पर रखें और
बीकर B को रेफ्रिजरेटर में रखें।
- तीन दिन बाद दोनों बीकरों का निरीक्षण करें। बीकर A में बीज अंकुरित होते हैं जबकि बीकर B में बीज अंकुरित नहीं होते हैं। कई दिनों के बाद, बीकर B में भी बीज अंकुरित हो जाते हैं।

निष्कर्ष : तापमान का बीज अंकुरण पर प्रभाव पड़ता है।
अथवा
बीज अंकुरण के लिए उपयुक्त जल और वायु के साथ-साथ अनुकूल तापमान भी अनिवार्य है।
प्रयोग का
उद्देश्य: बीज अंकुरण पर तापमान के प्रभाव की जाँच करना।
आवश्यक सामग्री: समान संख्या में चने/फली के बीज, रुई या फिल्टर पेपर, तीन छोटे पात्र
(कटोरी या
गिलास), जल।
|
चरण |
पात्र
(क) |
पात्र
(ख) |
पात्र
(ग) |
|
1. सेट-अप |
प्रत्येक पात्र
में रुई या फिल्टर पेपर बिछाएँ। |
प्रत्येक पात्र
में रुई या फिल्टर पेपर बिछाएँ। |
प्रत्येक पात्र
में रुई या फिल्टर पेपर बिछाएँ। |
|
2.बीजारोपण |
प्रत्येक पात्र
में 10-10 समान बीज रखें। |
प्रत्येक पात्र
में 10-10 समान बीज रखें। |
प्रत्येक पात्र
में 10-10 समान बीज रखें। |
|
3. जल/वायु |
तीनों पात्रों
में रुई को हल्का नम रखें (नियमित रूप से पानी डालकर, लेकिन इतना नहीं कि बीज डूब जाए)। |
तीनों पात्रों
में रुई को हल्का नम रखें। |
तीनों पात्रों
में रुई को हल्का नम रखें। |
|
4. तापमान
(नियंत्रण) |
सामान्य कमरे
का तापमान (20-25°C) – (नियंत्रण समूह) |
गर्म स्थान (35-40°C) – (जैसे धूप वाली खिड़की या
इनक्यूबेटर) |
ठंडा स्थान (0-5°C) – (जैसे रेफ्रिजरेटर) |
|
5. अवलोकन |
5-7 दिनों
तक प्रतिदिन अंकुरित बीजों की संख्या गिनें। |
5-7 दिनों
तक प्रतिदिन अंकुरित बीजों की संख्या गिनें। |
5-7 दिनों
तक प्रतिदिन अंकुरित बीजों की संख्या गिनें। |
अपेक्षित परिणाम
(निष्कर्ष):
पात्र (क)
(सामान्य तापमान) में सबसे अधिक अंकुरण होगा।
पात्र (ख) (गर्म
स्थान) में अंकुरण कम हो सकता है या बीज सड़ सकते हैं।
पात्र (ग) (ठंडा
स्थान) में अंकुरण बहुत धीमा होगा या बिल्कुल नहीं होगा।
निष्कर्ष: बीज अंकुरण के लिए अनुकूल तापमान की आवश्यकता होती है। बहुत अधिक या
बहुत कम तापमान
अंकुरण को बाधित करता है।
II. लघु प्रश्न - उत्तर (Short Answer Questions)
प्रश्न
: 1 सजीवों
की कोई चार प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:1. (i) सभी
सजीवों को भोजन की आवश्यकता होती है।
(iI) सभी सजीव श्वसन (साँस लेना) करते हैं।
(IIi) सभी सजीवों में वृद्धि होती है।
(iV) सभी सजीव जनन करते हैं (अपनी तरह के नवजात को जन्म देना)।
प्रश्न
: 2. पौधों
में पाई जाने वाली दो प्रकार की गति के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:2. (i) उद्दीपन के प्रति अनुक्रिया (Response to Stimuli): छुई-मुई के पौधे का
छूने पर पत्तियाँ बंद कर लेना।
(iI) वृद्धि-संबंधी गति: पौधे के तने का प्रकाश की ओर मुड़ना (प्रकाशानुवर्तन) और जड़
का नीचे की ओर बढ़ना (गुरुत्वानुवर्तन)।
प्रश्न : 3. बीज अंकुरण के लिए अनिवार्य परिस्थितियाँ क्या हैं? क्या सूर्य का प्रकाश अनिवार्य
है?
उत्तर:3.बीज अंकुरण के लिए जल (नमी) और वायु (ऑक्सीजन) की उपयुक्त मात्रा
अनिवार्य है।
सूर्य का प्रकाश अनिवार्य नहीं है। सामान्यतः अधिकांश बीजों को अंकुरण के लिए प्रकाश
की आवश्यकता नहीं होती है।
प्रश्न
: 4. उत्सर्जन
क्या है? पौधों में उत्सर्जन का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:4.उत्सर्जन: शरीर से अपशिष्ट उत्पाद (Waste products) के निष्कासन की प्रक्रिया को
उत्सर्जन कहते हैं।
पौधों में उत्सर्जन: पौधे पत्तियों की सतह पर अतिरिक्त जल और खनिजों को सूक्ष्म बूँदों के
रूप में उत्सर्जित करते हैं (जैसे घास और गुलाब में)।
प्रश्न : 5. लकड़ी की कुर्सी और जीवित पेड़ में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:5.जीवित पेड़: सजीव है, श्वसन करता है, बढ़ता है, जनन करता है और उद्दीपन के प्रति
अनुक्रिया करता है।
लकड़ी की कुर्सी: निर्जीव है, क्योंकि यह श्वसन, वृद्धि, जनन या उद्दीपन के प्रति अनुक्रिया नहीं
करती है, हालाँकि यह सजीव वृक्ष से
प्राप्त हुई है।
प्रश्न
:1. सजीवों
में होने वाली वृद्धि का कारण क्या है?
उत्तर:1.वृद्धि का कारण भोजन (पोषण) की आवश्यकता है, जिसका उपयोग शरीर के
आकार को बड़ा करने और विकास के लिए होता है।
प्रश्न
:2. पौधों
की पत्तियों पर उपस्थित छोटे छिद्र क्या कहलाते हैं?
उत्तर:2.ये छिद्र रंध्र (Stomata) कहलाते हैं, जो श्वसन में सहायता करते हैं।
प्रश्न
:3. टैडपोल
किस जंतु के जीवन-चक्र की अवस्था है?
उत्तर:3.मेंढक के जीवन-चक्र की लार्वा अवस्था है।
प्रश्न
:4. जननांग
की प्रक्रिया क्यों अनिवार्य है?
उत्तर:4.यह जीवन की निरंतरता के लिए अनिवार्य है,
जिससे पीढ़ी आगे बढ़ती रहती है।
प्रश्न
:5. उद्दीपन
(Stimuli) क्या है?
उत्तर:5.कोई भी वस्तु या घटना जो सजीवों को अनुक्रिया करने के लिए प्रेरित करती है,
उद्दीपन कहलाती है।
प्रश्न
:6. बीज
का बाह्य आवरण क्या कहलाता है?
उत्तर:6.बीजावरण (Seed Coat)।
प्रश्न
:7. वह
प्रक्रिया क्या है जिसके अभाव में हम जीवित नहीं रह सकते?
उत्तर:7.श्वसन (Respiration)।
प्रश्न
:8. पौधे
की जड़ें कौन-सा गुरुत्वानुवर्तन दिखाती हैं?
उत्तर:8.धनात्मक गुरुत्वानुवर्तन (गुरुत्वाकर्षण की दिशा में बढ़ना)
प्रश्न
:1. निम्नलिखित
में से कौन-सी सजीवों की एक विशेषता नहीं है?
(क) वृद्धि (ख) श्वसन
(ग) आकार में अपने आप कमी होना (घ) उत्सर्जन
उत्तर:1. (ग) आकार में अपने आप कमी होना
प्रश्न
:2. बीज
के अंकुरण के लिए निम्नलिखित में से किसकी आवश्यकता नहीं होती है?
(क) जल (ख) वायु
(ग) सूर्य का प्रकाश (घ) उपयुक्त तापमान
उत्तर:2. (ग) सूर्य का प्रकाश
प्रश्न
:3. निम्न
में से कौन-सा जीव अपने जीवन-चक्र में प्यूपा अवस्था से गुजरता है?
(क) मेंढक (ख) मनुष्य
(ग) मच्छर (घ) केंचुआ
उत्तर:3. (ग) मच्छर
प्रश्न
:4. पौधे
के प्ररोह का सूर्य के प्रकाश की ओर मुड़ना क्या कहलाता है?
(क) गुरुत्वानुवर्तन (ख) ऋणात्मक गुरुत्वानुवर्तन
(ग) प्रकाशानुवर्तन (घ) अनुक्रिया
उत्तर:4. (ग) प्रकाशानुवर्तन
प्रश्न :5. जब हम किसी गर्म वस्तु को छूते हैं तो तुरंत हाथ हटा लेते हैं। इस स्थिति में गर्म
वस्तु क्या है?
(क)
उद्दीपन (ख) अनुक्रिया
(ग) उत्सर्जन (घ) गति
उत्तर:5. (क) उद्दीपन
प्रश्न
:6. पौधों
की पत्तियों से जल का बूँदों के रूप में निष्कासन कौन-सी प्रक्रिया है?
(क) श्वसन (ख) जनन
(ग) उत्सर्जन (घ) पोषण
उत्तर:6. (ग) उत्सर्जन




No comments:
Post a Comment
Your comment is valuable for us to improve the post.Thanks.